

ग्रेटर नोएडा : भारतीय मुक्केबाज जब रविवार से यहां शुरू हो रहे विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स में उतरेंगे तो उनका लक्ष्य सत्र का शानदार अंत करने के साथ ही महत्वपूर्ण रैंकिंग अंक हासिल करना भी होगा। मुक्केबाजी के संचालन का कार्य जब से वर्ल्ड बॉक्सिंग ने संभाला है तब से इस साल के शुरू में विश्व कप की शुरुआत की गई और अब उसका फाइनल्स होगा। मुक्केबाज सभी प्रमुख टूर्नामेंटों में रैंकिंग अंक अर्जित करते हैं, जो वरीयता निर्धारण में भूमिका निभाते हैं। अगले वर्ष एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल होने वाले हैं, इसलिए ये अंक महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
प्रारूप के अनुसार इस वर्ष के शुरू में आयोजित किए गए तीन विश्व कप के पदक विजेता खिलाड़ियों ने शीर्ष रैंकिंग वाले मुक्केबाजों के साथ फाइनल्स में जगह बनाई है। भारत मेजबान होने के कारण पुरुष और महिला दोनों के सभी भार वर्गों में अपनी चुनौती पेश करेगा। दो बार की विश्व चैंपियन निकहत जरीन (51 किग्रा) महिला टीम की प्रमुख खिलाड़ी हैं। तेलंगाना की इस मुक्केबाज ने इस साल विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। मौजूदा विश्व चैंपियन जैस्मीन लाम्बोरिया (57 किग्रा) और मीनाक्षी हुड्डा (48 किग्रा), विश्व पदक विजेता पूजा रानी (80 किग्रा) और नुपुर (80 किग्रा से अधिक) अपनी अच्छी फॉर्म को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे।
प्रीति पवार (54 किग्रा), अरुंधति चौधरी (70 किग्रा) और परवीन हुड्डा (60 किग्रा) राष्ट्रीय टीम में वापसी कर रही हैं और वह अपने खेल से प्रभाव छोड़ने की कोशिश करेंगे। पुरुष वर्ग में भारत का विश्व चैंपियनशिप अभियान निराशाजनक रहा और उम्मीदें प्रतिभाशाली अभिनाश जामवाल और हितेश गुलिया से होंगी, जो इस वर्ष के शुरू में दो विश्व कप फाइनल में पहुंचे थे। विश्व चैंपियनशिप का समापन सितम्बर में हुआ था और कई प्रमुख खिलाड़ी सत्र की इस अंतिम प्रतियोगिता में भाग नहीं ले रहे हैं, जो क्वार्टर फाइनल चरण से शुरू होगी। शहीद विजय सिंह पथिक स्टेडियम में होने वाले इस टूर्नामेंट में 18 देशों के लगभग 130 मुक्केबाज भाग लेंगे, जिनमें कुछ ओलंपिक पदक विजेता भी शामिल हैं।