

सिलीगुड़ी ः राज्य सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर किए बिना ही प्राथमिक विद्यालयों में जल्दबाजी में शिक्षकों का बायोडाटा एकत्र करने के नाम पर शिक्षकों का अनादर किए जाने के खिलाफ रविवार को शहर में प्रतिवाद रैली निकाली गई। बंगीय प्राथमिक शिक्षक समिति की दार्जिलिंग जिला कमेटी की ओर से यह प्रतिवाद रैली निकाली गई।
उक्त समिति की दार्जिलिंग जिला कमेटी के सचिव शरत चंद्र राय ने संवाददाताओं से बातें करते हुए कहा कि गत 1 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति बिना टीईटी परीक्षा के ही हुई है और उनमें जिनकी सेवानिवृत्ति का समय 5 वर्ष से अधिक बचा है वे टीईटी परीक्षा देकर अपनी नौकरी जारी रख सकते हैं। यह मामला महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु राज्यों का होने के बावजूद इस राज्य में फैसले को जल्दी लागू किए जाने की जल्दबाजी राज्य सरकार दिखा रही है। जबकि, राज्य सरकार को उक्त आदेश पर समीक्षा याचिका दायर करनी चाहिए थी। मगर, वह न कर राज्य प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने गत 22 सितंबर को एक अधिसूचना जारी कर शिक्षकों से अपना बायोडाटा जमा करने को कहा है। उस दबाव व चिंता में एक शिक्षक और उसके पिता को अपनी जान गंवानी पड़ी।
उन्होंने यह भी कहा कि सितंबर से पहले ही गत 16 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अगले चार हफ्तों के भीतर कर्मचारियों को बकाया 25 प्रतिशत डीए का भुगतान करने का फैसला सुनाया था लेकिन राज्य सरकार उस पर अमल नहीं कर रही है। वह बकाया डीए भुगतान अभी भी लंबित है। स्कूल सर्विस कमीशन के शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में भी योग्य शिक्षकों की सूची देने में कितना विलंब किया गया जिसकी वजह से हजारों शिक्षकों की नौकरी पहले ही अनिश्चित हो गई।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारी समिति के महासचिव आनंद हांडा पहले ही कह चुके हैं कि प्रत्येक शिक्षक को कुछ न कुछ परीक्षा देने के बाद ही नियुक्त किया गया था। वहीं, हाल ही में केवल 2.4 प्रतिशत शिक्षकों ने ही टीईटी पास किया है, इसलिए यह तय है कि पुराने शिक्षक यदि टीईटी परीक्षा देंगे तो उनमें बहुत असफल होंगे। यह भी तय है कि बड़ी संख्या में स्कूल भी बंद होंगे। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के डेढ़ महीने बाद भी न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ने समीक्षा की है और न ही नौकरी की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था की है।
हमारी मांग है कि इन उभरती समस्याओं के समाधान के लिए तुरंत समीक्षा याचिका दायर की जाए और शिक्षकों के बायोडाटा एकत्र करना बंद किया जाए। अन्यथा, हम लोग जोरदार आंदोलन करने को बाध्य होंगे। इस दिन विरोध प्रदर्शन में समिति के अध्यक्ष दिलीप माइती, महासचिव आनंद हांडा, राज्य सचिवालय सदस्य सतीश साव, समीर बेरा, दार्जिलिंग जिला सचिव शरत चंद्र रॉय, उत्तर दिनाजपुर जिला सचिव सुजन पाल, अध्यक्ष दुलाल राजबंशी, जलपाईगुड़ी जिला सचिव झरना रॉय व अन्य कई शामिल रहे।