नागराकाटा में दिखा हाथियों की संवेदनशीलता का उदाहरण

नदी पार करता हाथी
नदी पार करता हाथी
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नागराकाटा: रविवार रात जंगल से निकलकर एक झुंड जंगली हाथी ग्रामीण इलाके में पहुंच गया। सोमवार सुबह झुंड के सभी हाथी लौट गए, लेकिन एक अपेक्षाकृत कम उम्र का हाथी नागराकाटा चाय बागान में फंस गया। दिलचस्प बात यह रही कि बाकी हाथियों ने सुबह करीब 10 बजे तक जलढाका नदी के किनारे उसी स्थान पर खड़े होकर अपने साथी का इंतज़ार किया। जब वह छोटा हाथी नदी पार कर अपने झुंड के साथ आ मिला, तभी पूरा दल जंगल की ओर वापस चला गया। यह घटना नागराकाटा बस्ती की है। दूसरी ओर, उदलाबाड़ी के चेल नदी के छठ पूजा घाट के पास भी सोमवार सुबह एक भटका हुआ जंगली हाथी घूमता देखा गया, जिससे वहां पूजा की तैयारियों के बीच अफरातफरी मच गई। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, रविवार शाम जलढाका के जंगल से करीब 15–20 हाथियों का एक झुंड नागराकाटा बस्ती होते हुए नागराकाटा चाय बागान तक पहुंचा था। लौटते समय एक हाथी किसी कारणवश पीछे रह गया। सूचना पाकर खुनिया रेंज के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उसे जंगल की ओर लौटाने का प्रयास करने लगे। खुनिया रेंज के बीट ऑफिसर जयदेव राय ने बताया, थोड़ी कोशिश करते ही दतैल हाथी नदी पार कर झुंड से जा मिला।

विशेषज्ञों ने कहा कि हाथी बेहद सामाजिक और संवेदनशील जानवर हैं। यदि झुंड का कोई सदस्य संकट में हो, तो अन्य हाथी उसकी मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पर्यावरणप्रेमी संगठन हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के प्रवक्ता अनिमेष बसु ने कहा, यह घटना फिर से साबित करती है कि हाथियों में एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना कितनी गहरी होती है। वहीं सोमवार तड़के उदलाबाड़ी में चेल नदी के छठ घाट के पास एक वयस्क नर हाथी को देखा गया। वह रानीचिरा चाय बागान की चेल लाइन के पास नदी किनारे काफी देर तक खड़ा रहा। बाद में माल वन्यजीव विभाग की टीम ने उसे घाट से सुरक्षित दूरी पर पहुंचाया। पर्यावरण संगठन नेश के कोऑर्डिनेटर नफसर अली ने बताया, “पिछले 15 दिनों से यह हाथी कुमलाई, साईली और रानीचिरा चाय बागानों के बीच घूम रहा है। कभी-कभी यह भूट्टाबारी जंगल से साइली हाट के पास झाड़ियों में भी देखा गया है। संभवत उसकी दृष्टि कमजोर हो। तत्काल चिकित्सा की जरूरत है। रानीचिरा चाय बागान के चेल लाइन के एक मजदूर धनश्वर तिर्की ने बताया, “यह हाथी पिछले तीन दिनों से हमारे इलाके में है। किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। पास जाने पर भी आक्रामक नहीं होता। इस पर उत्तरी बंगाल वन्यजीव विभाग के वनपाल भास्कर जे. वी. ने कहा, “हाथी को कुछ शारीरिक समस्या है। उसका इलाज जारी है और वन विभाग की टीम लगातार उस पर नजर रख रही है। इस स्थिति को देखते हुए मंगलवार सुबह छठ पूजा के लिए चेल नदी घाट पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर सोमवार शाम वन विभाग की ओर से माइकिंग कर लोगों को सतर्क किया गया।

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