

सिलीगुड़ी ः दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा व राहत को लेकर दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि, भूस्खलन और बाढ़ के बाद, यह देखकर अच्छा लग रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही हैं। मुझे उम्मीद थी कि यहां स्वयं तबाही का मंजर देखकर वह हमारे क्षेत्र में आई इस आपदा को आधिकारिक तौर पर 'आपदा' घोषित करने के लिए राजी हो जाएंगी। मगर, पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक इसे आधिकारिक तौर पर 'आपदा' घोषित नहीं किया है।
सांसद ने विज्ञप्ति जारी कर यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अपनी निष्क्रियता को विभिन्न बहानों से सही ठहराती रहती हैं। यह स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (डीएमए) की धारा 38 के नियमों के अनुसार, राज्य सरकार अपनी राज्य सीमा के भीतर किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए जिम्मेदार है। राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर किसी 'आपदा' की सूचना देने और सहायता मांगने के बाद ही केंद्र सरकार आगे सहायता प्रदान कर सकती है। हमारे क्षेत्र के लोग 2023 से भारी नुकसान झेल रहे हैं, फिर भी 15वें वित्त आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल के लिए 2021-2026 की अवधि के लिए आवंटित 5900 करोड़ रुपये के आपदा राहत कोष का कोई हिसाब नहीं है। इसमें से 75% केंद्र सरकार और 25% राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए, राज्य को कुल 1,311.20 करोड़ रुपये का एसडीआरएफ आवंटन प्राप्त है, जिसमें से 983 करोड़ रुपये केंद्र द्वारा और 328 करोड़ रुपये राज्य निधि से दिए गए हैं। इधर, समाचार रिपोर्टों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने इस त्रासदी में मृतकों के लिए 5 लाख और क्षतिग्रस्त हुए घरों के लिए 1.2 लाख रुपये की घोषणा की है। एक सामान्य गणना से पता चलता है कि पुनर्वास और आवास सहायता को शामिल करने के बाद भी, कुल राहत व्यय मुश्किल से 10 करोड़ से अधिक होगा। हालांकि, अगर सरकार एसडीआरएफ आवंटन का 10% (केवल वर्ष 2025-26 के लिए) भी उपयोग करती है, तो पीड़ितों की सहायता, घरों के पुनर्निर्माण, आजीविका और क्षतिग्रस्त सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की मरम्मत के लिए लगभग 130 करोड़ रुपये तुरंत जुटाए जा सकते हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल के आपदा प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा विभाग को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 3279 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है लेकिन मुझे नहीं पता कि इसमें से कितना दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और उत्तर बंगाल क्षेत्र को मिला है। मगर, अगर इस बजट का 10% भी आपदा राहत और बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता, तो हमारे क्षेत्र में आपदा से निपटने के लिए 327.9 करोड़ का तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता था। लेकिन ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल के आपदा प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा विभाग को आवंटित धन और बजट पूरी तरह से गायब हो गया है। अब समय आ गया है कि सरकार संवेदनशीलता और तत्परता से कार्य करे, इस आपदा की गंभीरता को समझे और दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र, तराई और डुआर्स के लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दे।