

सिलीगुड़ी : एसएससी (स्कूल सर्विस कमीशन) द्वारा हाल ही में जारी की गई ‘टेंटेड लिस्ट’ ने उत्तर बंगाल के शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। इस सूची में सिलीगुड़ी शिक्षा जिला से करीब 40 शिक्षकों के नाम सामने आए हैं, जिन्हें ‘दागी’ या ‘अयोग्य नियुक्ति’ के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इन शिक्षकों में से अधिकांश राज्य के विभिन्न जिलों से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन वर्तमान में सिलीगुड़ी के विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं। जैसे ही यह सूची सार्वजनिक हुई, कई शिक्षकों ने एसएससी की प्रक्रिया और मंशा पर सवाल उठाए और इसे ‘त्रुटिपूर्ण और पक्षपाती’ करार दिया।
गलती एसएससी की, सज़ा हमें क्यों?
श्रीगुरु विद्यामंदिर में कार्यरत राजनीति विज्ञान की शिक्षिका रुबेदा सबरीन ने खुलकर आरोप लगाया कि एसएससी अपनी गलती छिपाने के लिए शिक्षकों को बलि का बकरा बना रही है। उन्होंने कहा मेरे पास कोई नोटिस नहीं आया, ना कोई दस्तावेज दिखाया गया। मेरा ओएमआर शीट तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। एसएससी की इस लिस्ट का कोई आधार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ शिक्षक उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन सभी ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि सिर्फ उन्हीं को कोर्ट में जाने की अनुमति दी गई है जिनके पास स्पष्ट दस्तावेज़ हैं या जो समय सीमा के अंदर अपील कर सकते हैं। बाकी डर, दबाव या संसाधन की कमी के कारण चुप हैं।
क्या है ‘टेंटेड लिस्ट’?
‘टेंटेड लिस्ट’ दरअसल उन शिक्षकों की सूची है, जिनकी नियुक्तियों को एसएससी ने संदेहास्पद या नियम विरुद्ध माना है। यह सूची सीबीआई जांच और सरकारी निर्देशों के बाद तैयार की गई है। इसमें शामिल शिक्षकों पर अनुचित माध्यम से नियुक्ति पाने का आरोप है। राज्य भर में जारी इस सूची ने शिक्षा क्षेत्र में गहरा असर डाला है। कहीं विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की चिंता जताई जा रही है, तो कहीं छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ने का खतरा मंडरा रहा है।
कानूनी लड़ाई की तैयारी
जानकारी के अनुसार, सिलीगुड़ी से कुछ शिक्षक हाईकोर्ट का रुख कर चुके हैं व करने वाले हैं। वे ओएमआर शीट की स्कैन कॉपी, मेरिट लिस्ट और इंटरव्यू रिकार्ड की मांग कर रहे हैं ताकि अपनी नियुक्ति की वैधता साबित कर सकें। हालांकि, कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं। माना जा रहा है कि वे या तो आशंकित हैं कि नौकरी न चली जाए, या कानूनी प्रक्रिया में फंसने से डर रहे हैं।
शिक्षा व्यवस्था पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन शिक्षकों की नियुक्ति रद्द होती है तो इससे विद्यालयों में शिक्षक संकट और छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में।