अलीपुरदुआर : लगभग पंद्रह दिनों के लंबे इंतजार के बाद डुआर्स के सबसे लोकप्रिय पर्यटन केंद्रों में से एक जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य द्वार सोमवार से फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। काली पूजा के दिन मदारीहाट स्थित मुख्य गेट खुलते ही जंगल सफारी और हाथी सफारी की बुकिंग शुरू हो गई, जिससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं। पिछले कई दिनों से बंद रहने के बाद जंगल सफारी की वापसी ने पूरे इलाके में रौनक लौटा दी है। गौरतलब है कि पिछले 5 अक्टूबर को भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं के कारण वन विभाग ने नेशनल पार्क को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया था। लगातार बारिश से कई जगहों पर नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने के साथ जंगल के कुछ हिस्सों में पानी भर गया था। इससे वन्यजीवों के सुरक्षित आवागमन और पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया था। उद्यान प्रशासन की ओर से बताया गया था कि जब तक स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, तब तक सफारी सेवा बहाल नहीं की जा सकती। हालांकि स्थिति स्वाभाविक होते हैं जलदापाड़ा के कुछ वैकल्पिक पर्यटन क्षेत्र जैसे, चिलापाता कोदालबस्ती, शालकुमार आंशिक रूप से खोल दिए गए थे, लेकिन मदारीहाट गेट से होने वाली प्रसिद्ध जीप सफारी और हाथी सफारी पर पूरी तरह रोक लगी हुई थी।
इस वजह से पर्यटन के साथ जुड़े हजारों लोगों की आजीविका पर संकट गहराने लगा था। स्थानीय गाइड, जीप मालिक, इको-टूरिज्म कर्मी, होटल-लॉज संचालक और छोटे दुकानदार आर्थिक रूप से गंभीर संकट का सामना कर रहे थे।
सोमवार सुबह जैसे ही पार्क खोलने की आधिकारिक घोषणा हुई, मदारीहाट में फिर से रौनक लौट आई। सफारी बुकिंग काउंटरों पर सुबह से ही लंबी कतारें देखी गई। पहले ही दिन बड़ी संख्या में पर्यटक दिल्ली, कोलकाता, असम, बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों से जलदापाड़ा पहुंचे। कुछ विदेशी पर्यटक भी यहां देखे गए, जो विशेष रूप से एक सींग वाले भारतीय गैंडे, बाइसन, सांभर, चीतल हिरण, तेंदुआ और हाथियों के झुंड को देखने आए हैं। पर्यटकों ने खुले प्राकृतिक जंगल में सफारी के रोमांच का आनंद लेते हुए इसे "अविस्मरणीय अनुभव" बताया। स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि पार्क खुलने से एक बार फिर इलाके की अर्थव्यवस्था में जान लौटेगी।
पर्यटन संगठन के और से जहोर लाल साहा ने बताया, “लगभग दो हफ्ते की बंदी में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं। अब त्योहारी सीजन में पार्क खुलने से उम्मीद है कि पहले जैसी पर्यटक संख्या फिर से आएगी।” इधर वन विभाग की ओर से जंगल सफारी के नियम और निगरानी को और मजबूत किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए गाइड और जंगल कर्मियों की अतिरिक्त टीमें तैनात की गई हैं। जंगली जानवरों के संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और जिम्मेदार पर्यटन को ध्यान में रखते हुए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
जैसे ही पार्क खुला, डुआर्स के पर्यटन उद्योग में नए उत्साह का माहौल देखा गया। काली पूजा और दीवाली के मौके पर पर्यटक सीजन की जोरदार शुरुआत के साथ स्थानीय लोगों को अब बेहतर आमदनी की उम्मीद बंधी है। पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी जलदापाड़ा की यह वापसी एक सुखद खबर बनकर आई है।