आपराधिक मामलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

आपराधिक मामलों में बढ़ती महिलाओं की संक्रियता
आपराधिक मामलों में बढ़ती महिलाओं की संक्रियता
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सिलीगुड़ी: आज की नारी सब पर भारी, पहले महिलाओं को अबला नारी समझा जाता था | लेकिन समय के साथ महिलाओं ने हर बंदिश को तोड़कर अपनी एक अलग पहचान बना ली है | वे आज पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है । नारियों को समाज में बराबरी का दर्जा भी मिला है | अब नारी किसी भी क्षेत्र में कम नहीं घर और बाहर दोनों के बीच तालमेल मिला कर वो लगातार आगे बढ़ रही है | छोटी से बड़ी कंपनियों में महिला कार्यरत है | वहीं महिला को ममता की मूर्त भी माना जाता है | कानून और समाज दोनों ही महिलाओं पर सौम्या व्यवहार रखता है | एक समय ऐसा था जब घर की दहलीज पार करने के लिए स्त्रियों को कई सवालों के जवाब देने पड़ते थे | लेकिन अब समय बदल चुका है | जहां कुछ महिलाएं समाज को एक नई दिशा दिखा रही है, तो कुछ ऐसी भी है जो आपराधिक गतिविधियों को चुन रही है | वर्तमान समय में महिलाओं को किसी आपराधिक घटनाओं से जुड़ने के लिए शायद घर की दहलीज को पार करने की जरुरत नहीं पड़ती |

क्योंकि अब सोशल मीडिया का दौर चल रहा है, मोबाइल, सोशल मीडिया,तरह-तरह के उपकरण आ गए हैं जिससे जुड़ कर कई महिलाएं घर बैठे ही आराम से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रही है | नारी तस्करी में अक्सर महिलाएं ही संलिप्त रहती है | ऐसे बहुत सी घटनाएं भी इस वर्ष घटित हुई हैं जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है | हत्या, चोरी, मानव तस्करी , ड्रग्स तस्करी हर आपराधिक घटनाओं में महिलाओं की भागीदारी देखी जा रही है | महिलाओं के अपराधिक राह को चुनने को लेकर जब सन्मार्ग संवाददाता ने कुछ प्रतिष्ठित समाजसेवी से संपर्क किया तो उन्होंने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं, जिसके कुछ अंश |

प्रतिमा जोशी, Siliguri Nari Shakti Director: शिक्षा की कमी और कुछ महिलाओं को अभी अपने अधिकार के बारे में जानकारी नहीं है, जिसके कारण बहुत सी महिलाएं भ्रमित हो रही है | कुछ महिलाओं को लगता है पैसा कमाना ही नारी सशक्तिकरण है और इसी वजह से वो आपराधिक मामलों से जुड़ जाती है | कानून भी महिलाओं का ही समर्थन करता है इसका फायदा अब महिलाएं उठने लगी है | लालच रूपये कमाने की होड़ ने कुछ महिलाओं को दिशाहीन कर दिया है | अब समय आ गया है कानून को महिलाओं के प्रति सख्त रवैया अपनाना होगा और उन्हें भी हर जुर्म के लिए उचित सजा मिलनी चाहिए तभी उनके अंदर डर उत्पन्न होगा |

बिंदु दहल, G,H,R Peace Foundation Director: वर्तमान समय में इतना ज्यादा खुलापन आ गया है और सोशल मीडिया में जिस तरह से हर बात को खुलेआम दिखाया जाता है,उससे महिलाओं पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है | यह नहीं की घर से बाहर निकलने वाली महिलाएं अपराध कर रही है | बल्कि घर के अंदर रहने वाली महिलाएं भी आज आपराधिक मामलों से जुड़ रही है | तरह-तरह की सुविधा उन्हें घर बैठे मिल जाती हैं और वह कानून को अपने हाथ में लेती है | प्रशासन को सोशल मीडिया पर चल रहे हैं गतिविधियों पर भी ध्यान रखना चाहिए | क्योंकि आज जो भी अपराध हो रहे हैं उस में कहीं ना कहीं सोशल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है |

सोनीआ टोप्पो Child protection worker, seva Kendra Siliguri : कुछ महिलाएं मजबूरी के कारण भी आपराधिक घटनाओं से जुड़ रही है और जब यह मजबूरी इच्छा का रूप ले लेती है, तब वे बिना डरे आपराधिक घटनाएं करती है | इन घटनाओं से जुड़ी महिलाएं भी कहीं ना कहीं शोषण का शिकार हो रही है | बड़े स्तर से जुड़े लोग मजबूर महिलाओं को चुनकर ही कदम बढ़ाते है | मानसिक तनाव, आर्थिक तंगी, ऐसी स्थिति महिलाओं को तोड़ देती है | ऐसे में पुलिस को विभिन्न अपराधों में मिलने वाली सजा को लेकर भी शिविर लगाने चाहिए | इसकी जानकारी देनी चाहिए ताकि भय और जुर्माने का डर बना रहे और महिलाएं आपराधिक मामलों से दूरी बना ले |

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