हिमालय क्षेत्र में भारतीय सेना की भविष्यगामी पहल

'दिव्य दृष्टि' अभ्यास : एआई, ड्रोन और सेंसर-टू-शूटर आदि नई तकनीकों के उपयोग पर जोर, भविष्य के युद्ध के स्वरूप अनुरूप तैयारी
हिमालय क्षेत्र में भारतीय सेना की भविष्यगामी पहल
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सिलीगुड़ी : आज के अत्याधुनिक दौर में युद्ध का स्वरूप बदलता जा रहा है। युद्ध क्षेत्र में अधिक देखने, अति-शीघ्रता से समझने और त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता ही सफलता का आधार हो गई है। उसी आवश्यकता को पूरा करने की दिशा में भारतीय सेना ने जुलाई-2025 में 'दिव्य दृष्टि' अभ्यास आयोजित किया। पूर्वी सिक्किम के अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आयोजित इस अभ्यास में युद्ध क्षेत्र जागरूकता, वास्तविक समय निगरानी और त्वरित निर्णय लेने में सुधार के लिए डिजाइन की गई नई-नई तकनीकों का परीक्षण किया गया। त्रिशक्ति कोर के सैनिकों ने यथार्थवादी परिदृश्यों को अंजाम देने के लिए यूएवी और ड्रोन सहित जमीनी प्रणालियों और हवाई प्लेटफाॅर्मों के मिश्रण का उपयोग किया।

इसमें उन्नत संचार प्रणालियों से जुड़े एआई-सक्षम सेंसर का उपयोग एक प्रमुख विशेषता थी। इस व्यवस्था ने कमांड सेंटरों के बीच सुचारू और सुरक्षित डेटा प्रवाह सुनिश्चित किया जिससे स्थितिजन्य जागरूकता में सुधार हुआ और तेज, बेहतर निर्णय लेने में मदद मिली एवं सेंसर-टू-शूटर के बीच एक मजबूत संबंध बना। उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने सेना मुख्यालय की ओर से अभ्यास और उसके परिणामों की समीक्षा की। त्रिशक्ति कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए मिनवाला ने कहा कि, 'दिव्य दृष्टि अभ्यास बहुत सफल रहा। हमने अत्याधुनिक तकनीकों का वास्तविक क्षेत्रीय परिस्थितियों में परीक्षण किया। इससे प्राप्त अनुभव भारतीय सेना में भविष्य की तकनीकों, सिद्धांतों और रणनीतियों को विकसित करने में मदद करेंगे जिससे हम किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति और किसी भी भू-भाग के लिए तैयार हो सकेंगे।'

उल्लेखनीय है कि 'दिव्य दृष्टि' अभ्यास सेना के आधुनिकीकरण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण और परिवर्तन के दशक की पहल के अनुरूप, तकनीक और आत्मनिर्भरता पर सेना के फोकस को दर्शाता है।

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