आधूनिकता की दौर में भी मिट्टी के चूल्हों का जलवा बरकरार

Trader selling clay stove
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अंजली पांडेय

सिलीगुड़ी : आधुनिकता के इस दौर में जहां गैस और इलेक्ट्रिक किचन उपकरण आम हो चुके हैं, वहीं सिलीगुड़ी के वर्द्धमान रोड पर मिट्टी के पारंपरिक चूल्हों की मांग अभी भी कम नहीं हुई है। खासकर छठ पूजा जैसे लोकआस्था से जुड़े त्योहारों में मिट्टी के चूल्हों की महत्ता और बढ़ जाती है। स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु पारंपरिक मिट्टी के चूल्हे ही खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि वे पूजा की शुद्धता और परंपरा को बनाए रखते हैं। मिट्टी के चूल्हे न केवल सस्ते और टिकाऊ होते हैं, बल्कि इनमें खाना पकाने का स्वाद भी अलग ही होता है।

शनिवार नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरूआत हो रही है। ऐसे में वर्द्धमान रोड के कई दुकानदार लगातार मिट्टी के चूल्हे बनाकर बेच रहे हैं, जो खासतौर पर छठ पूजा में अत्यंत मांग में रहते हैं। एक दुकानदार राजकुमार साहनी ने कहा कि छठ पूजा के दौरान मिट्टी के चूल्हों की बिक्री दोगुनी हो जाती है। मिट्टी के चूल्हे में पूजा के दौरान पकाया गया भोजन और भी पवित्र और स्वादिष्ट होता है। पर्यावरण की दृष्टि से भी मिट्टी के चूल्हे फायदेमंद माने जाते हैं, क्योंकि वे प्राकृतिक होते हैं और उनमें किसी प्रकार का रसायन नहीं होता। उन्होंने बताया कि अभी से ही चूल्हें बिक रहे है।

सालों से हम यहां मिट्टी के चूल्हे व गोबर के उपले को बेचते है। यह दोनों वस्तु पूजा के लिए अत्यंत आवश्यक है। एक चूल्हे की कीमत 250 से 1000 रूपये तक है। आकार के अनुसार मिट्टी के चूल्हों के दाम है। वहीं, गोबर के एक उपले की कीमत 2 रूपये है। उन्होंने बताया कि इस बार बिक्री अच्छी होने की उम्मीद है। कई मिट्टी के चूल्हें बने हुए है और बनाएं जा रहे है। इस बार अच्छा लाभ होगा।

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