हरतकी-साईरंग सेक्शन का सीआरएस निरीक्षण शुरू

हरतकी-साईरंग सेक्शन का सीआरएस निरीक्षण शुरू
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सिलीगुड़ी ः नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर (एनएफ) रेलवे क्षेत्र की भैरबी-साईरंग नई लाइन रेलवे परियोजना के हरतकी-साईरंग सेक्शन का रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) द्वारा निरीक्षण शुरू होने के साथ ही पूर्वोत्तर भारत के रेलवे संपर्क मिशन में एक प्रमुख माइलस्टोन हासिल हो गया। एनएफ रेलवे के सीआरएस सुमित सिंघल ने गत 6 जून से साईरंग स्टेशन से यह निरीक्षण शुरू किया जो 10 जून तक चलेगा। कुल 33.864 किलोमीटर का यह सेक्शन 51.38 किलोमीटर लंबी भैरबी-साईरंग नई लाइन का हिस्सा है जिसे एनएफ रेलवे द्वारा एक रणनीति के तहत राज्य-राजधानी संपर्क परियोजना के रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है।

एनएफ रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा की ओर से विज्ञप्ति जारी कर उपरोक्त जानाकरी दी गई है। बताया गया है कि इस सेक्शन के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के साथ ही मिजोरम जल्द ही असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश के बाद चौथा पूर्वोत्तर राज्य बन जाएगा, जिसकी राजधानी राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगी। इस परियोजना को चार सेक्शनों में विभाजित किया गया है, भैरबी-हरतकी (16.72 कि.मी., जुलाई 2024 में चालू), हरतकी-कौनपुई (9.71 कि.मी.), कौनपुई- मुआलखांग (12.11 कि.मी.) और मुआलखांग-साईरंग (12.84 किमी)। परियोजना का इंजीनियरिंग पैमाना महत्वपूर्ण है।

इसमें कुल 12,853 मीटर लंबाई में 48 सुरंगें, 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल, 5 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) और 6 रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) शामिल हैं। स्टैंडआउट संरचनाओं में पुल संख्या 196 का एक स्तंभ, जो 104 मीटर ऊंचा है, यानी दिल्ली के कुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक है। यह मिजोरम के चुनौतीपूर्ण स्थल पर विजय पाने के लिए किए गए इंजीनियरिंग उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है। इस मार्ग पर एक सफल ट्रायल रन गत 1 मई को एनएफआर के महाप्रबंधक (निर्माण) की उपस्थिति में पहले ही किया जा चुका है, जो आइजोल की रेल संपर्क यात्रा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण रहा। जून 2025 तक परियोजना ने 94.52% भौतिक प्रगति हासिल कर ली है, जो परिचालन तत्परता की दिशा में निरंतर प्रगति को दर्शाता है।

एक बार चालू होने के बाद, भैरबी-साईरंग रेलवे लाइन मिजोरम के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगी। बेहतर कनेक्टिविटी से आवश्यक आपूर्ति तक पहुँच बढ़ेगी, लंबी दूरी की यात्रा (यात्री और माल दोनों) को बढ़ावा मिलेगा और परिवहन लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी। इस लाइन से स्थानीय पर्यटन, लघु उद्योगों और पूरे क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है। सीआरएस निरीक्षण और अपेक्षित संरक्षा मंजूरी के सफल समापन के बाद, नई लाइन का औपचारिक उद्घाटन 17 जून के बाद होने की संभावना है। एनएफआर मिजोरम और व्यापक पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के लिए इस परिवर्तनकारी परियोजना को जल्द से जल्द चालू करने को प्रतिबद्ध है।

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