एनबीएमसीएच में दलाल राज चरम पर, रोष

- आरोप : न्यूरोलॉजी विभाग में एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) डॉक्टर की तरह मरीजों को देखता है और बहला-फुसलाकर नर्सिंग होम में भर्ती करवाता है - ऐसा होना संभव नहीं, विभागाध्यक्ष से बातचीत कर करवाई जाएगी जांच, होगी आवश्यक कार्रवाई : एनबीएमसीएच अधीक्षक
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सन्मार्ग संवाददाता

सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एनबीएमसीएच) से मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी अस्पताल या नर्सिंग होम में ले जाने के लिए विभाग के अंदर से ही इस तरह की दलाली का धंधा चलाने की शिकायत सामने आई है। आरोप है कि सरकारी अस्पताल में एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) मरीजों को देख रहा है। वह मरीजों की समस्याएं सुनता है, दवाएं लिखता है और यहां तक कि मरीज को जरूरत पड़ने पर शारीरिक जांच कराने की बात भी बताता है। बेशक, वह वहां बैठकर मरीज को निजी क्षेत्र में ले जाने की योजना बना रहा है और विभाग के डॉक्टर इस धंधे को समर्थन दे रहे हैं। हालांकि आरोपी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव मृण्मय पाल ने कहा कि वह मरीजों को नहीं देखते है, वह मरीजों के इलाज में मदद करते है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव अस्पताल के डॉक्टरों के सहयोग के बिना सरकारी अस्पताल के बाह्य रोगी विभाग में घुसने की हिम्मत कैसे कर सकता है?

मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. संजय मल्लिक ऐसे आरोपों को सुनकर हैरान हैं। उन्होंने कहा, 'यह संभव नही है? वह विभागाध्यक्ष से बात कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। चिकित्सा जगत में दलाली का धंधा कोई नई बात नहीं है। बाह्य रोगी विभाग, अंत:रोगी विभाग, ब्लड बैंक, सीटी स्कैन, केंद्रीय प्रयोगशाला समेत सभी सेवाओं में दलालों का धंधा खूब फल-फूल रहा है। आरोप है कि अस्पताल के बड़े डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ का इस दलाली गिरोह से सीधा संपर्क है। इनकी मदद से दलाल यहां से मरीजों को बहला-फुसलाकर विभिन्न जांचों के लिए बाहरी प्रयोगशालाओं और बेहतर इलाज के लिए नर्सिंग होम में ले जाते हैं। इतना ही नहीं, अस्पताल में ब्लड जांच, एमआरआई, सीटी स्कैन समेत विभिन्न सेवाएं जल्दी दिलाने के लिए दलाल मरीजों से मोटी रकम ऐंठते हैं। नतीजतन, अस्पताल का दलालों से संबंध किसी से छिपा नहीं है। फिर, अधिकारी इस बात से कैसे अनजान हैं कि नेफ्रोलॉजी विभाग में कार्यरत एक संविदा डॉक्टर नियमित रूप से बाह्य रोगी विभाग में बैठकर मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाने का लालच दे रहा है। इस बार न्यूरोलॉजी विभाग विवादों के घेरे में है।

पिछले काफी समय से वहां बाह्य रोगी विभाग का संचालन एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव कर रहा है। यहां गिने-चुने सीनियर रेजिडेंट हैं, लेकिन मृण्मय पाल नाम का मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव मरीजों को देखने से लेकर दवा लिखने, दवा कहां मिलेगी, कौन सी जांच करानी है, सब कुछ करता है। न्यूरोलॉजी बाह्य रोगी विभाग सप्ताह में दो दिन यानी मंगलवार और शुक्रवार को सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में चलता है। आरोप है कि इस विभाग के डॉक्टर नियमित रूप से अस्पताल नहीं आते। इसके बजाय वह वहां ऐसे मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव नियुक्त कर विभाग चला रहे हैं। हालांकि, संपर्क करने पर न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमर मिश्रा ने बताया कि बाह्य रोगी विभाग में मृण्मय पाल नाम का कोई व्यक्ति काम नहीं करता। आरोप है कि विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों की अनुपस्थिति में यह व्यक्ति बाह्य रोगी विभाग में बैठकर मरीजों को बताता है कि जरूरत पड़ने पर वे विभिन्न शारीरिक जांच करवा लें। ऑपरेशन की जरूरत पड़ने पर वह निजी अस्पतालों के बारे में बात करता है। वह यह भी बताता है कि कौन सी निजी लैब में ये जांच करानी चाहिए। न्यूरोलॉजी विभाग में दिन-प्रतिदिन इसी तरह काम चलता है।

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