बिमल गुरुंग ने चाय बागान मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी को चुनावी वादे में शामिल करने की मांग की

बिमल गुरुंग बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरण करते हुए
बिमल गुरुंग बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरण करते हुए
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नागराकाटा: गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने पहाड़, डुआर्स और तराई क्षेत्र के चाय बागानों के लिए केंद्र और राज्य के दोनों सत्तारूढ़ दलों से आगामी चुनावी घोषणा पत्र में न्यूनतम मजदूरी को शामिल करने की मांग उठाई है।

मंगलवार को वे बाढ़ प्रभावित बामनडांगा-टंडू चाय बागान पहुंचे। वहां उन्होंने कहा कि चाय बागानों से मजदूरों का रोज़गार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन का मुख्य कारण अब तक न्यूनतम मजदूरी तय न होना है। उनके अनुसार, अगर यह लागू हो जाए तो मजदूरों की दैनिक आय 400 रुपये से अधिक होगी और तब घर के लोग अपने घरों में ही रहेंगे।

इस अवसर पर बिमल गुरुंग ने पहाड़ के साथ डुआर्स और तराई क्षेत्र को मिलाकर अलग प्रशासनिक व्यवस्था की भी पुरज़ोर मांग की। उनका कहना था, डुआर्स के अधिकारों के लिए ही मैंने जीटीए छोड़ दिया था। जाति, धर्म या समुदाय के भेदभाव के बिना यहां के सभी लोग वंचित हैं। इसलिए यह राजनीति का विषय नहीं, बल्कि सभी के विकास के लिए आवश्यक कदम है। मोर्चा सुप्रीमो ने दिन की शुरुआत टंडू चाय बागान में राहत सामग्री वितरण से की और बाद में बामनडांगा गए। उन्होंने कहा, लोगों की कठिन घड़ी में उनके साथ रहना ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। पहाड़ में भी बारिश और भूस्खलन से भारी नुकसान हुआ है वहा भी मैं हर जगह गया था। चाय बागानों में आदिवासी और गोरखा समुदाय परंपरागत रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं। मैं आगे भी लोगों के साथ रहने के लिए फिर यहां आऊंगा।

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