एनबीयू में कार्यवाहक वाइस चांसलर की नियुक्ति की उम्मीद

एनबीयू में कार्यवाहक वाइस चांसलर की नियुक्ति की उम्मीद
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सिलीगुड़ी ः नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी (एनबीयू) में फिलहाल कार्यवाहक वाइस चांसलर (वीसी) की नियुक्ति की संभावना है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एनबीयू की लंबे समय से कायम अचल अवस्था को दूर करने के लिए इसी जून महीने के पहले अथवा दूसरे सप्ताह में यहां कार्यवाहक वीसी की नियुक्ति की जा सकती है। उसमें भी जयादा संभावना एनबीयू के अंदर से ही किसी वरीय पदाधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है ताकि लंबे समय से वीसी के अभाव में लंबित एनबीयू के विभिन्न कार्यों का निष्पादन समय रहते किया जा सके। नए कार्यवाहक वीसी की नियुक्ति संभवतः तब तक के लिए होगी जब तक कि पूर्णकालिक वीसी नियुक्ति का अदालत में चल रहा मामला किसी हल को न पा जाए।

उल्लेखनीय है कि एनबीयू में गत लगभग ढाई साल से स्थायी वाइस चांसलर (वीसी) नहीं हैं। वहीं, गत सवा साल से अधिक समय से अस्थायी वीसी तक की भी नियुक्ति नहीं हो रही है। केवल पूर्णकालिक वीसी ही नहीं बल्कि रजिस्ट्रार, वित्त अधिकारी व परीक्षा नियंत्रक चार सर्वोच्च पद खाली पड़े हैं। इधर, गत अक्टूबर 2024 से अतिरिक्त प्रभार के बतौर रजिस्ट्रार के कामकाज संभालने वाली एनबीयू की अंडर-ग्रैजुएट काउंसिल की सचिव डॉ. नूपुर दास ने भी सप्ताह भर पहले रजिस्ट्रार पद से इस्तीफा दे दिया है। एनबीयू के संयुक्त रजिस्ट्रार डॉ. स्वपन कुमार रक्षित ही फिलहाल प्रशासनिक कार्यों को अपने अधिकार क्षेत्र के अनुरूप संभाल रहे हैं। इन सबके अलावा एनबीयू में शिक्षक व गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भी अनेक रिक्तियां हैं। अनेक पदों पर अस्थायी शिक्षक कर्मचारीयों व गैर-शिक्षक कर्मचारियों द्वारा जो काम चलाया जा रहा है वह भी पर्याप्त नहीं है। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था से लेकर प्रबंधन व प्रशासनिक व्यवस्था सब कुछ चरमरा कर रह गई है।

याद रहे कि राज्य के 36 में से 17 विश्वविद्यालयों के साथ ही साथ नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी (एनबीयू) में भी पूर्णकालिक वाइस चांसलर (वीसी) की नियुक्ति का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। उसकी कई सुनवाई हो चुकी है लेकिन मामला हल नहीं हो पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के ही निर्देशानुसार गत वर्ष 2024 के जुलाई महीने में पूर्व न्यायाधीश ललित के नेतृत्व में 'सर्च कम सेलेक्शन कमेटी' का गठन किया था। अदालत का निर्देश था कि कमेटी विश्वविद्यालयों के पूर्णकालिक वीसी नियुक्ति हेतु नामों की खोज कर उसकी सूची राज्य सरकार को देगी। राज्य सरकार उसमें आवश्यकतानुरूप संशोधन कर उसे अनुमोदन हेतु राज्यपाल जो कि विश्वविद्यालयों के चांसलर हैं, उनको अग्रसारित करेगी। राज्यपाल उसे अनुमोदन देंगे। यदि मतभेद हुआ तो सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा। गत 2 अप्रैल की सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने इन नियुक्तियों के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। मगर, उस समय-सीमा के बीत जाने के बावजूद अब तक नियुक्तियों का मामला लंबित है। राज्य के 36 में से 19 विश्वविद्यालयों में वीसी नियुक्त किए जा चुके हैं। शेष 17 विश्वविद्यालयों जिनमें कि एनबीयू भी शामिल है। राज्य के 17 विश्वविद्यालयों के मामले में, वीसी के नामित उम्मीदवारों की पात्रता, पृष्ठभूमि आदि को लेकर चांसलर ने अपनी आपत्ति जताई हुई है। उसी को लेकर जटिलता है और मामला अधर में है।

गौरतलब है कि राज्य की 36 यूनिवर्सिटियों में पूर्णकालिक वीसी की नियुक्ति हेतु नामों की चयन प्रक्रिया गत वर्ष 2024 के 8 नवंबर को ही पूरी कर ली गई थी। अब तक 19 यूनिवर्सिटियों में पूर्णकालिक वीसी की नियुक्तियां भी की जा चुकी हैं। मगर, 17 यूनिवर्सिटियां अभी भी पूर्णकालिक वीसी की बाट जोह रही हैं। उनमें राज्य की अन्य यूनिवर्सिटियों के साथ ही साथ उत्तर बंगाल की कूचबिहार पंचानन बर्मा यूनिवर्सिटी, रायगंज यूनिवर्सिटी, मालदा की गौड़ बंग यूनिवर्सिटी, उत्तर बंगाल कृषि विश्वविद्यालय, और नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी भी शामिल हैं।

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