वेतन मिलने के बाद भी काम में अनियमितता का आरोप

- आरोप : चिकित्सा क्षेत्र में इलाज के लिए आने वाले लोगों की सुरक्षा का नहीं है कोई अता-पता - हर वार्ड के सामने सुरक्षा गार्ड तैनात होने के बाद भी कुत्ते वार्ड में लोगों के बिस्तरों के पास है लेटे रहते
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सिलीगुड़ी : कार्यालय में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौ से ज़्यादा कर्मचारियों पर है। लेकिन उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सुरक्षा और निगरानी की कमी क्यों है? कभी मरीज़ों को कुत्ते नोच रहे हैं। कभी कोई आकर मरीज़ों या बुज़ुर्गों को इधर-उधर छोड़ जाता है। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। आरोप है कि कार्यालय में जिन्हें तनख्वाह मिलती है, वे आधा काम ही करते हैं। बाकी सब तो बस फ़र्ज़ी कर्मचारी हैं। कई ऐसे कर्मचारियों के नाम पर हर महीने लाखों रुपये के बिल आ रहे हैं जो असल में हैं ही नहीं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय मलिक ने कहा, 'हमें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है।

हालांकि, हर एजेंसी को सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी करने को कहा गया है। अब से किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।' उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में पहले से ही 288 लोग सफ़ाईकर्मी के तौर पर कार्यरत हैं। इनमें से ज़्यादातर लोग कार्यालय, डेटा एंट्री, टिकट काउंटर, अल्ट्रासाउंड और केंद्रीय प्रयोगशाला में काम करते हैं। कई लोग अस्पताल की सुरक्षा में भी लगे हैं। इसके बाद भी, सुरक्षा की देखभाल के लिए यहां 144 लोगों को ख़ास तौर पर नियुक्त किया गया था। हाल ही में, चिकित्सा क्षेत्र में सुरक्षा कार्य के लिए 15 नागरिक सुरक्षा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। वहीं, सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक के प्रबंधन के लिए 270 सुरक्षा गार्ड रखे गए हैं। इसके बाद भी, चिकित्सा क्षेत्र में इलाज के लिए आने वाले लोगों की सुरक्षा का कोई अता-पता नहीं है।

गलियारे में लेटे मरीजों को कुत्ते काट रहे हैं, गलियारे में गिरकर मरीज दम तोड़ रहे हैं। कहीं कोई कार या बाइक चलाकर बीमार, बुजुर्ग और वृद्धों को चिकित्सा गलियारे में छोड़ रहा है। हर वार्ड के सामने सुरक्षा गार्ड तैनात होने के बाद भी, कुत्ते वार्ड में लोगों के बिस्तरों के पास लेटे रहते हैं। कुत्तों के डर से मरीज सो नहीं पा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षा के लिए नियुक्त करने के बाद भी ये सारी घटनाएं कैसे हो रही हैं? अगर हम हाथ से हिसाब लगाएं, तो यहां 500 से ज़्यादा निजी कर्मचारी हैं, जिनमें सुरक्षा गार्ड और सफाईकर्मी शामिल हैं। इनकी मुख्य ज़िम्मेदारी सुरक्षा की देखभाल करना है।

मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में विभिन्न स्थानों पर गश्त के साथ-साथ ड्यूटी के लिए सुरक्षा गार्डों की अलग-अलग टीमें होती हैं। तो फिर यहां इतनी अनियमितताएं कैसे हैं? आरोप है कि किताबों और रिकॉर्ड में तो नियमित रूप से वेतन निकाला जाता है, लेकिन हकीकत में ये सभी कर्मचारी काम करते नहीं दिखते। सूची में ऐसे नाम भी हैं जो शायद एक दिन भी काम पर नहीं आए। लेकिन उनके नाम पर नियमित रूप से वेतन निकाला जा रहा है। और इस वजह से इलाज के लिए आने वाले मरीज़ों और उनके परिजनों की सुरक्षा बेहद निचले स्तर पर पहुंच गई है।

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