तीस्ता नदी के कटाव से बेघर हुए 131 परिवारों को मिला पुनर्वासन

- मेयर ने इलाके का लिया जायजा, परिवारों से बातचीत कर वर्तमान परिस्थितियों से हुए अवगत, मझुआ बस्ती इलाके में 3 डिसमिल जमीन पर दिया गया पुनर्वासन,जियो-टैगिंग का कार्य भी पूरा
 Mayor inspecting the area
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सन्मार्ग संवाददाता

सिलीगुड़ी : तीस्ता नदी कटाव में लालटंग और चमकडांगी गांव के 131 परिवारों का घर उजड़ गया। जिसके बाद 131 परिवार बेघर हो गए, खाने तक के लिए परिवार को तरसना पड़ रहा था। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर उन परिवारों को नए आशियाना बनाने का अवसर मिला। प्रशासन ने उन्हें तेज बहाव वाली तीस्ता नदी के तट से हटाकर डाबग्राम-1 ग्राम पंचायत के मझुआ बस्ती इलाके में स्थानांतरित कर दिया। इतना ही नहीं,राज्य सरकार बांग्लार बाड़ी परियोजना के तहत परिवारों के लिए घर बनाने की भी व्यवस्था कर रही है। मुख्यमंत्री ने स्वयं इस इलाके का नाम 'तिस्तापल्ली' रखा।

सोमवार को सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देब ने तीस्तापल्ली इलाके का दौरा किया। उनके साथ स्थानीय पंचायत और जलपाईगुड़ी जिले के अधिकारी भी थे। मेयर ने कहा कि परिवार कैसे रह रहे हैं और क्या कोई समस्या है,इस पर नजर रखी जाएगी। मालूम हो कि पिछले साल अक्टूबर में सिलीगुड़ी से सटे डाबग्राम नंबर 1 ग्राम पंचायत के लालटंगबस्ती और चमकंडांगी गांवों को तीस्ता ने निगल लिया था। घटना के तुरंत बाद, परिवारों को अस्थायी रूप से शालुगाड़ा हाई स्कूल में ठहराया गया। उस समय प्रशासन ने उन्हें आवश्यक भोजन, कपड़े आदि सहित विभिन्न वस्तुएं उपलब्ध कराईं। बाद में सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देब के हस्तक्षेप से उन परिवारों को स्थानांतरित करने की योजना शुरू की गई।

मेयर गौतम देव ने बताया कि शुरू में इन परिवारों को शिवनगर इलाके में स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन चूंकि वह क्षेत्र वन विभाग का है, इसलिए अनुमति नहीं मिली। जिसके बाद डाबग्राम एक नंबर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चंपासारी देवीडांगा से सटे मझुआ बस्ती इलाके को उनके निवास के लिए उपयुक्त बनाया गया। उस क्षेत्र में जमीन करीब 3 डिसमिल दी गई थी, जिसका पट्टा मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें पहले ही सौंप दिया गया है। भूमि की जियो-टैगिंग का कार्य भी पूरा हो चुका है।

हालाँकि, बांग्लार बाड़ी परियोजना के लिए किस्त की राशि आने में कुछ समय लगेगा। यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की जा रही है कि उन्हें जून तक पहली किस्त मिल जाए। स्थानांतरण प्रक्रिया लगभग 5 से 6 महीने में पूरी हो गई। दूसरी ओर, स्थानीय लोगों ने राज्य सरकार और मेयर की इस पहल की सराहना की है। उन्होंने बताया कि फिलहाल वह टिन लगाकर व तिरपाल लगाकर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं, लेकिन वह इंतजार करने को तैयार हैं, भले ही इसमें कुछ समय लगे।

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