सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद सरकारी किताबों की अवैध बिक्री को रोकने के लिए विषेश कदम उठाने जा रही है। संसद अध्यक्ष चिरंजीव भट्टाचार्य ने कहा कि यह उपाय प्रामाणिकता की जांच के लिए किया जा रहा है। कई बार देखा जाता है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली मुफ्त किताबें बाजार में बिक जाती हैं। नकली किताबों को रोकने के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि क्यूआर कोड की नकल करना संभव नहीं है। इसके लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। सरकार द्वारा दी जाने वाली किताब के क्यूआर कोड को स्कैन करके कोई भी यह जान सकता है कि वह असली है या नहीं। उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद की सचिव प्रियदर्शिनी मल्लिक ने कहा कि हमें कई जिलों से शिकायतें मिल रही थीं, कि सरकारी किताबों की नकल की जा रही है। नतीजतन, छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए हमने ऐसा फैसला लिया है।
पिछले साल तक बाजारों में सरकार की ओर से दी गई पुस्तकें दिखती थी
पिछले साल तक पुस्तक बाजारों में सरकार द्वारा जारी की गई किताबें ही बिकती नजर आती थीं। हालांकि सरकार की ओर से वे किताबें छात्रों को मुफ्त में दी जाती थीं। शिक्षा संसद ने इस समस्या को रोकने के लिए किताबों में क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर रही है। बंगाली शिक्षक एवं शिक्षाकर्मी संघ के महासचिव स्वपन मंडल ने कहा कि उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद की ओर से जारी दिशा-निर्देशों से पता चलता है कि कुछ जगहों पर किताबों की प्रतियां बेच रहे हैं। फिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। पिछले साल तक पुस्तक बाजारों में सरकार द्वारा जारी की गई किताबें ही बिकती नजर आती थीं। हालांकि सरकार की ओर से वे किताबें छात्रों को मुफ्त में दी जाती थीं। शिक्षा संसद ने इस समस्या को रोकने के लिए किताबों में क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर रही है। बंगाली शिक्षक एवं शिक्षाकर्मी संघ के महासचिव स्वपन मंडल ने कहा कि उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद की ओर से जारी दिशा-निर्देशों से पता चलता है कि कुछ जगहों पर किताबों की प्रतियां बेच रहे हैं। फिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।