प्रगति, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : उच्च माध्यमिक का चौथा और आखिरी सेमेस्टर डेढ़ महीने में शुरू होने वाला है। उससे पहले स्कूलों को स्टाफ की कमी को लेकर चिंता हाे रही है। हाल ही में कोर्ट के आदेश पर करीब 26,000 टीचर और एजुकेशन वर्कर की नौकरी चली गई थी। तब से कई स्कूलों में ग्रुप-C और ग्रुप-D स्टाफ की कमी हो गई है। कुछ स्कूलों में 1 से 2 स्टाफ हैं, तो कुछ स्कूलों में एक भी स्टाफ नहीं है। स्थिति ऐसी है कि स्कूल में हेडमास्टर्स और शिक्षकों को स्कूल के सभी काम करने पड़ रहे हैं। कई स्कूलों को परीक्षा केंद्र के तौर पर चुना गया है, मगर वहां स्टाफ की काफी कमी है। ऐसे में चिंता यह है कि आने वाली माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षा कैसे होगी। 2016 का पैनल कैंसिल होने के बाद यह पहली बार है, जब माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षा होने जा रहे हैं।
क्या कहना है स्कूल मैनेजमेंट का?
दमदम अरविंद विद्या मंदिर स्कूल के हेडमास्टर असीम कुमार नंदा ने कहा कि मेरे स्कूल में दो एजुकेशन वर्कर थे, दोनों ही अपनी पूरानी नौकरियों पर वापस लौट रहे हैं। ऐसे में परीक्षा के दौरान अन्य कामों के साथ स्कूल के ऑफिशियल काम भी खुद करना पड़ सकता है। अलग-अलग स्कूलों में यही हाल है। दमदम मोती झील गर्ल्स हाई स्कूल की हेडमिस्ट्रेस पायल डे ने कहा कि स्कूल में एक भी क्लर्क नहीं है। पहले दो लोग क्लर्क के तौर पर काम करते थे, मगर 2016 का पैनल कैंसिल होने से उनकी नौकरी चली गई है। ऐसे में परीक्षा के दौरान काम कैसे होगा, यह सोचकर हमें चैन नहीं मिल रहा है। आर्य परिषद विद्यालय के टीचर इंचार्ज भगवान सिंह ने बताया कि स्कूल माध्यमिक परीक्षा के लिए केंद्र चुना गया है। स्टाफ की काफी कमी है, ऐसे में दूसरे स्कूलों से स्टाफ को परीक्षा के काम के लिए लाने के बारे में बात की जाएगी।
क्या कहा संसद के प्रेसिडेंट ने?
उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद के प्रेसिडेंट चिरंजीव भट्टाचार्य ने कहा कि जो स्कूल एग्जामिनेशन सेंटर नहीं हैं, उनमें ग्रुप-C और ग्रुप-D के काफी स्टाफ हैं, तो उन्हें आस-पास के स्कूलों में एग्जामिनेशन की जिम्मेदारी संभालनी पड़ सकती है।