सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कलकत्ता विश्वविद्यालय का दावा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देश, जो एक छात्र को एक साथ दो अलग-अलग डिग्री कोर्स करने की अनुमति देते हैं, वह सही नहीं है। राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों ने भी इस मुद्दे पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। इस संबंध में कलकत्ता विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार देवाशीष दास ने यूजीसी द्वारा जारी नये दिशा-निर्देशों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सेमेस्टर प्रणाली में एक साथ दो डिग्री कोर्स की पढ़ाई किसी भी तरह से उचित नहीं है। बता दें कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020' के अनुसार कक्षाओं के साथ-साथ इंटर्नशिप और मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम संचालित करने के नियम हैं। एक साथ दो डिग्री कोर्स करने से भविष्य में कई लाभ मिल सकते हैं।
छात्र स्नातक और मास्टर्स में पढ़ सकते हैं दो विषय
यूजीसी की नई कोर्स गाइडलाइन के अनुसार, छात्र स्नातक और मास्टर्स में दो विषय पढ़ सकते हैं। किसी कोर्स की क्लास ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग के जरिए ली जा सकती है। हालांकि, अगर आप दोनों कोर्स के लिए रेगुलर मोड में क्लास करना चाहते हैं, तो आपको ध्यान रखना होगा कि क्लास का समय अलग-अलग हो। यूजीसी का तर्क है कि इस व्यवस्था में उच्च शिक्षा में विज्ञान, कला, वाणिज्य, इंजीनियरिंग शाखाओं के बीच असमानता को दूर करना संभव है।
अधिसूचना के माध्यम से की गयी है घोषणा
यूजीसी ने हाल ही में एक अधिसूचना में यह भी घोषणा की है कि जिन लोगों ने इन दिशा-निर्देशों के प्रकाशन से पहले एक ही समय में स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर दो विषयों में डिग्री कोर्स पूरा कर लिया है, उनकी डिग्री भी वैध मानी जाएगी। कुछ राज्य विश्वविद्यालयों के अनुसार, शिक्षण में इस पद्धति को अपनाने के लिए न केवल शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में भी सुधार की जरूरत है।