कोलकाता : कलकत्ता विश्वविद्यालय की निरीक्षण समिति के संयोजक जतिंद्र कुमार दास को उस लॉ कॉलेज के खिलाफ शिकायतों की आंतरिक जांच करने वाली समिति से हटा दिया गया है, जहां 25 जून को एक छात्रा के साथ बलात्कार हुआ था। हालांकि उन्होंने अपने निष्कासन से इनकार किया और कहा कि जब पुलिस जांच चल रही हो तो ऐसी आंतरिक जांच निरर्थक है। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के प्रोफेसर पिजुस्कंती पाणिग्रही, जो समिति के सदस्यों में से एक थे, को नया संयोजक नियुक्त किया गया। सूत्रों ने बताया कि जतिंद्र कुमार दास की गतिविधियां जांच के दायरे में आईं, जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया। हालांकि जतिंद्र कुमार दास ने कहा कि "मामला अदालत में लंबित है और पुलिस जांच चल रही है। इस समय विश्वविद्यालय द्वारा कोई अलग जांच करने का कोई सवाल ही नहीं है। हमारी मुख्य चिंता विधि परीक्षाओं का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना था, जो हमने सुनिश्चित किया और परीक्षाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। बता दें कि 25 जून की घटना के बाद, सीयू ने एक निरीक्षण समिति का गठन किया जिसके संयोजक दास थे। जतिंद्र कुमार दास की भूमिका जांच के दायरे में आ गई और अतिरिक्त प्रवेश से जुड़े आरोप सीधे विश्वविद्यालय के विधि प्रशासन की ओर इशारा करते हैं, जिसकी अब जांच की जा रही है। उप-प्राचार्य को निरीक्षण समिति के समक्ष बुलाया गया, जहां उनसे इस मामले और कॉलेज संचालन के बारे में सवाल पूछे गए। उन्हें 35 सवालों के लिखित जवाब देने थे। इसके बाद, समिति के प्रत्येक सदस्य ने अपनी रिपोर्ट अंतरिम कुलपति शांता दत्ता डे को सीलबंद लिफाफों में सौंपी। सूत्रों के अनुसार दास ने इस दौरान उप-प्राचार्य को बचाने की कोशिश की और प्रवेश संबंधी रिकॉर्ड जमा करने में देरी की।