

प्रगति, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में एक अहम बदलाव करते हुए सहायता प्राप्त 2,338 स्कूलों की पांचवीं कक्षा को औपचारिक रूप से प्राइमरी स्तर में शामिल करने का निर्णय लिया है। स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा है कि यह फैसला राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप लिया गया है, जिसके तहत पांचवीं कक्षा को प्राइमरी शिक्षा का हिस्सा माना गया है।
अब तक राज्य की पुरानी शिक्षा नीति के अनुसार पांचवीं कक्षा को सेकेंडरी स्तर के अंतर्गत रखा गया था। बाद में जब अपर प्राइमरी श्रेणी बनाई गई, तो पांचवीं कक्षा को उसी के तहत शामिल कर दिया गया। एजुकेशन डिपार्टमेंट के सूत्रों के मुताबिक, पहले यह नियम था कि किसी भी स्कूल में पांचवीं कक्षा शुरू करने के लिए कम से कम छह क्लासरूम होना अनिवार्य है। लेकिन अब कहा गया है कि जिन स्कूलों में कम से कम पांच क्लासरूम उपलब्ध हैं, वे भी पांचवीं कक्षा को प्राइमरी स्तर पर चला सकेंगे।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 तक राज्य के कुल 17,996 प्राइमरी स्कूलों में पांचवीं कक्षा संचालित हो रही थी। इसके बाद वर्ष 2025 में 2,335 प्राइमरी स्कूलों में पांचवीं कक्षा को जोड़ा गया है। गुरुवार को स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने इस फैसले पर अंतिम मुहर लगा दी। शिक्षा विभाग का मानना है कि इस बदलाव से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों को एक समान शैक्षणिक ढांचा मिलेगा। साथ ही, छोटे बच्चों को सेकेंडरी या अपर प्राइमरी स्कूलों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे ड्रॉपआउट की समस्या भी कम होने की उम्मीद है।