महिलाओं के स्वास्थ्य का दुश्मन-ल्यूकोरिया

श्वेत प्रदर
ल्यूकोरिया
महिलाओं के स्वास्थ्य का दुश्मन-ल्यूकोरियामहिलाओं के स्वास्थ्य का दुश्मन-ल्यूकोरिया
Published on

श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिया महिलाओं के स्वास्थ्य और सौन्दर्य दोनों का दुश्मन है। इस रोग में योनि मार्ग से सफेद स्राव होता रहता है। शर्म-संकोच के मारे महिलाएं अपने रोग की चर्चा न परिवार में किसी से करती हैं और न इलाज के लिए चिकित्सक के पास ही जाती हैं। रोग अन्दर ही अन्दर बढ़कर उन्हें कमजोर बना देता है। इस रोग से परेशान महिलाएं टीवी या पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित विज्ञापनों से प्रभावित होकर बाजार से इश्तहारी दवाएं खरीदकर खाती रहती हैं।

इस रोग से लगभग सभी महिलाएं थोड़ा बहुत परेशान रहती हैं। स्वस्थ और वयस्क महिलाओं की योनि को गीला बनाए रखने के लिए एक प्रकार का रस योनि के अन्दर स्रावित होता है। इस स्राव से उनके अधोवस्त्र में दाग नहीं लगता। इस योनि रस में एक विशेष प्रकार के जीवाणु होते हैं जो ग्लाइकोजन सुगर को लैक्टिक एसिड में बदल देते हैं। यह एसिड योनिमार्ग की बीमारियों से रक्षा करता है।

योनि में स्रावित होने वाले सामान्य योनि रस की मात्रा उम्र, स्वास्थ्य या किसी बीमारी के कारण बदलती रहती है। यौवनारंभ के समय मासिक के पहले, गर्भावस्था में तथा प्रसव के बाद योनि रस का स्राव अधिक मात्रा में होता है लेकिन बचपन तथा वृद्धावस्था में इस रस का स्राव कम हो जाता है।

योनि में हल्का गीलापन होना सामान्य बात है लेकिन योनि रस का स्राव बढ़ जाना असामान्य है। योनि रस के स्राव के बढ़ जाने से अधोवस्त्र दागदार हो जाते है। जब यह स्राव अत्यधिक मात्रा में होने लगता है तब अतिरिक्त नेपकिन का इस्तेमाल करना पड़ता है या कई बार अधोवस्त्र बदलने पड़ते हैं।

जब अत्यधिक मात्रा में योनि रस बिना संक्रमण के ही स्रावित होता है और उसका रंग सफेद होता है तो उसे श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिया कहा जाता है।

योनि से स्रावित होने वाला सफेद स्राव अधिकतर योनि में संक्रमण के कारण ही होता है। यह कई प्रकार का होता है यथा -

मोनिलियसिस - इस प्रकार के संक्रमण में स्राव दही जैसा गाढ़ा होता है और योनि पर अधिक खुजली होती है।

ट्राइकोमोनस इंफेक्शन - इस संक्रमण के दौरान पीलापन या हरापन लिए स्राव होता है। स्राव में हवा के बुलबुले मौजूद होते हैं।

बैक्टीरियल वैजीनाइटिस - इसमें भूरे रंग का या सफेद स्राव योनि से गिरता रहता है। स्राव से मछली के समान बदबू आती है। इसके अतिरिक्त यह गनोरिया का लक्षण भी हो सकता है। इस रोग से किसी भी उम्र की महिला ग्रसित हो सकती है। छोटे बच्चों में भी यह संक्रमण हो सकता है। छोटे बच्चों में यह रोग गंदे हाथ और गंदे कपड़े के कारण होता है। सूत्राकृमि जैसे कृमियों या बाहरी वस्तुओं के कारण भी यह रोग हो सकता है। बड़ी उम्र की महिलाओं में यह रोग सेडनिल वैजिनाइटिस के कारण होता है। उनमें कैंसर की भी संभावना हो सकती है।

योनि से सफेद स्राव किसी अन्य रोग के कारण भी हो सकता है। कभी-कभी योनि से होने वाला सफेद स्राव अन्य बीमारियों का लक्षण भी होता है। बच्चेदानी में ट्यूमर, बच्चेदानी के मुंह के घाव, पॉलिप, पेडू में पी आई डी आदि के कारण भी योनि से सफेद स्राव निकलता है।

कभी-कभी पुराना कब्ज भी इस स्राव का कारण होता है। टैम्पून या प्रेसरी के अन्दर रह जाने पर भी योनि से अत्यधिक मात्रा में सफेद स्राव स्रावित होता है। कुछ रसायन और मरहम भी इस स्राव के कारण होते हैं।

सही इलाज से रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। रोग से पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए कभी-कभी पति-पत्नी दोनों का एक साथ इलाज आवश्यक होता है।

जांच - ऐसे स्राव की किसी प्रयोगशाला में जांच करायी जा सकती है। साधारण रक्त की जांच, ब्लडशूगर तथा मूत्र-परीक्षण कराया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक कारण का विशिष्ट रूप से परीक्षण कियाजाता है।

जांच के अनुसार एंटी फंगल क्रीम या उचित दवाइयां स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दी जाती है। सही निदान केपश्चात् ही इलाज द्वारा रोग से पूर्ण छुटकारा मिल सकता है।

अर्पिता तालुकदार(स्वास्थ्य दर्पण)

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in