

आधुनिक किशोरियां और महिलाएं बस छरहरा बदन चाहती हैं चाहे उसके लिए उन्हें सप्ताह में एक-दो व्रत ही रखने पड़ें या भूख से काफी कम खाना पड़े। जिन लोगों के खानपान में किसी भी तरह की गड़बड़ी हो चाहे कम खाना, बिलकुल न खाना, बाहर का खाना, अधिक खाना, कुछ न कुछ चबाते रहना। यह सब ईटिंग डिसआर्डर कहलाता है। डाक्टरी भाषा में इसे ऐनोरेक्सिया कहते हैं।
रोगी के मन में हर समय वजन बढ़ने का डर रहता है। इस चक्कर में वह खाना खाना कई बार छोड़ देता है। कभी-कभी यह स्थिति रोगी के लिए खतरनाक हो सकती है। मेट्रो सिटीज में यह बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार अन्य महिलाओं पर भी इसका मानसिक दबाव बन गया है। ऐनोरेक्सिया एक खतरनाक बीमारी है। इसका अंजाम बुरा भी हो सकता है, आइये जानें:-
-ऐनोरेक्सिया के रोगी में खून की कमी हो सकती है।
-रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है।
-अक्सर सिर दर्द रहता है। या तो ऐसे लोग खूब सोते हैं या बहुत कम।
-याददाश्त कमजोर होने लगती है। शरीर थका-थका रहता है।
कैसे जानें कि हम ऐनोरेक्सिया के शिकार हैं-
-पेट में दर्द रहना।
-त्वचा का शुष्क होना।
-शरीर में पानी की कमी होना।
-जल्दी जल्दी नजला जुकाम होना।
-कब्ज होना।
-अनियमित मासिक धर्म का होना या कई बार मासिक धर्म का न होना।
-अनियमित धड़कन।
-नींद पूरी न होना।
-भावनाओं का अहसास न होना।
-अपने बारे में नकारात्मक विचार रखना।
कैसे बचा जा सकता है:-
-विटामिन्स से भरपूर भोजन लें।
-हर एक घंटे में एक गिलास पानी पिएं।
-अगर आपका जॉब अधिक देर तक बैठने वाला है तो कुछ बैठने वाले व्यायाम करें।
-एक कप ब्लैक कॉफी लें ताकि शरीर को ऊर्जा मिले।
-7 से 8 घंटे की नींद लें।
-फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करें। सुदर्शन चौधरी(स्वास्थ्य दर्पण)