

कोलकाता: अर्जुन का पेड़ अधिकांशत: मध्य प्रदेश, बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में मिलता है। अर्जुन शीतल हृदय के लिए हितकारी है। इसके उपयोग से सूक्ष्म रक्त वाहिनियों का संकुचन होता है जिसमें रक्तभार बढ़ता है। इस प्रकार इससे हृदय सशक्त व उत्तेजित होता है। इससे रक्त वाहिनियों के द्वारा होने वाले रक्त का स्राव भी कम होता है जिससे यह सूजन को दूर करता है।
अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़ शहद या दूध के साथ दिन में दो या तीन बार लें। छाल का काढ़ा 50 से 100 मिली या पत्तों का रस 10 से 15 मिली की मात्रा में लें।
छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबाल कर ले सकते हैं। इससे भी समान रूप से लाभ होगा। अर्जुन की छाल के चूर्ण प्रयोग से उच्च रक्तचाप भी अपने आप सामान्य हो जाता है। यदि केवल छाल का चूर्ण डालकर ही चाय बनायें तो उसमें चायपत्ती न डालें। इससे यह और भी अधिक प्रभावी होगा।
छाल के चूर्ण को दूध के साथ लेने पर टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है। चूर्ण को पानी के साथ पीसकर लेप करने से भी दर्द में आराम मिलता है। प्लास्तर चढ़ा हो तो छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में तीन बार एककप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती है।