
कोलकाता - मानव शरीर के अंगों के तन्तुओं के फटने या खिंच जाने को मोच कहते हैं। ऐसा शरीर के किसी अंग-विशेष को आवश्यकता से अधिक जोर देकर काम करने की कोशिश करते समय होता है और ऊंचाई से कूदते या खेलते समय भी होता है। कहने का अर्थ है कि जरा सी अनियमितता से कार्य करने का प्रयास हुआ नहीं कि मोच आ जाती है।
हम सुनते हैं कि वह अपनी छत से कूदा और उसके पैर में मोच आ गई। साइकिल का टायर दौड़ाते हुए गिरा और उसके हाथों में मोच आ गई। दौड़ते हुए गिरा और उसके घुटने में मोच आ गई। स्पष्ट है कि ये बातें यह प्रदर्शित करती हैं कि सम्बद्ध कार्य करने में कुछ असावधानी या अनियमितता हुई जिससे कि मोच आई। शरीर के किसी अंग में मोच आ जाने से असहनीय पीड़ा होती है। मोचग्रस्त भाग जरा सा भी हिलाने-डुलाने पर दु:खने लगता है और उसमें सूजन आ जाती है। अब हम कुछ उपाय बतायेंगे जिनके द्वारा आप मोच खाये व्यक्ति का इलाज कर सकते हैं-
● मोचग्रस्त अंग को स्थिर तथा सुखद अवस्था में रखिये।
● अंग पर पट्टी बांधिये और उसे पानी से गीला रखिये।
● इमली की पत्तियां उबाल लें। इसमें नमक भी डालें। उबले पानी में मोचग्रस्त अंग खूब धोयें। फिर पत्तियां लगाकर साफ कपड़े की पट्टी बांध दें। यह क्रम कुछ दिन करें जब तक मोच ठीक न हो जाये।
● यदि मोचग्रस्त अंग में घाव हो गया है या खून निकला है तो हल्दी और प्याज पीसकर सरसों के तेल को तेज गर्म कर गुनगुना होने पर बांधें। ऐसा तब तक करें जब तक आराम न मिले।
● मोचग्रस्त अंग पर मालिश न करें। इससे नसें इधर-उधर हो सकती हैं जो और क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। साधारण मोच में ‘आयोडेक्स’ की गर्म मालिश की जा सकती है।
ये कुछ उपाय हैं जिससे हम मोच खाये व्यक्ति का इलाज कर सकते हैं। सब कुछ करने के बाद भी जब यह लगे कि चिकित्सक की सलाह लेनी आवश्यक है तो तत्क्षण डॉक्टर के पास जाना चाहिए। मोचग्रस्त भाग को कुछ लोग खींच-ठोककर बैठाने का भी दावा करते हैं। याद रखिये, ऐसा रिस्क लेते समय चिकित्सक से अवश्य पूछिये- फिर उचित उपचार कीजिए।