
कोलकाता - थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता। इसके कारण शरीर के ऊतकों और अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है।
यह बीमारी माता-पिता दोनों से जीन द्वारा संतति को मिलती है। यदि दोनों माता-पिता थैलेसीमिया के वाहक हों, तो संतान को यह रोग गंभीर रूप में हो सकता है।
थैलेसीमिया के कारण
•आनुवंशिक दोष (Genetic Mutation) – जीन में गड़बड़ी।
•माता-पिता दोनों से दोषपूर्ण जीन मिलना।
•सबसे अधिक यह रोग भूमध्यसागरीय, दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व क्षेत्रों में पाया जाता है।
लक्षण (Symptoms):
• लगातार थकान और कमजोरी
• त्वचा का पीला पड़ना (Pallor)
•हड्डियों में विकृति (विशेषकर चेहरे की हड्डियों में)
•पेट का फूलना (स्प्लीन और लीवर का बढ़ना)
•बच्चों में विकास की धीमी गति
•बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता
होम्योपैथिक चिकित्सा – रोग की जड़ पर कार्य
होम्योपैथी थैलेसीमिया जैसी आनुवंशिक बीमारियों में भी आशाजनक परिणाम देती है। यह शरीर की प्राकृतिक शक्ति को पुनः जागृत कर, हीमोग्लोबिन उत्पादन को बढ़ावा देती है और थकावट, कमजोरी व अन्य लक्षणों में राहत देती है। यह रक्त चढ़ाने की आवश्यकता को भी धीरे-धीरे कम कर सकती है (व्यक्ति की स्थिति अनुसार)।
प्रमुख होम्योपैथिक औषधियाँ – थैलेसीमिया के लिए:–
1. Ferrum Metallicum – रक्त की कमी, थकावट, चक्कर, चेहरा पीला।(डॉ. विलियम बोरिक)
2. China Officinalis – रक्त की अधिक हानि के बाद कमजोरी, चिड़चिड़ापन और नींद की कमी।(डॉ. जेम्स टायलर केंट)
3. Calcarea Phosphorica – बच्चों में हड्डियों का कमजोर होना, धीमी वृद्धि।(डॉ. एच. सी. एलेन)
4. Natrum Muriaticum – हीमोग्लोबिन की कमी, उदासी और अकेलेपन की भावना।(डॉ. जॉन हेनरी क्लार्क)
5.Syphilinum (मियाज्मेटिक दवा)– अनुवांशिक दोषों के गहरे इलाज के लिए प्रयोग की जाती है।(डॉ. सी. एम. बोगर)
वैसे और भी कारगर दवाए है जैसे Rubia Tinctoria,Cinchona Off, Trinitrotoluene (TNT), और ऐसी ढेरों दवाएं हैं जो चिकित्सक समग्र लक्षण के आधार पर देता है।
थैलेसीमिया को केवल एक रक्त की बीमारी न मानें, यह एक सामाजिक व पारिवारिक चुनौती भी है। इस विश्व थैलेसीमिया दिवस पर, हम सभी को चाहिए कि विवाह पूर्व थैलेसीमिया की जाँच करवाएं, जागरूक बनें और होम्योपैथी जैसी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को अपनाकर जीवन को बेहतर बनाएं।