

चक्कर आने के यूं तो अनेक कारण होते हैं, किंतु नींद का पूरा न होना, कमजोरी, अचानक किसी प्रियजन के अप्रिय समाचारों को सुनना, मधुमेह, तनाव, उच्च रक्तचाप आदि के साथ-साथ, मोशन सिकनेस, लो ब्लडप्रेशर, आधा सीसी, सरवाइकल पेन, मिनियर्स डिजीज के कारण भी चक्कर आने लगते हैं। चक्कर आने की शिकायत होने पर उचित चिकित्सा के साथ-साथ उससे बचने के उपायों को भी करना चाहिये।
चक्कर आने की तकलीफ को चिकित्सा विज्ञान की भाषा में वर्टिगो या डिजीनेस कहा जाता है। अचानक चक्कर आने पर मरीज को आराम से बिस्तर पर लेटा देना चाहिए। मरीज को सिर स्थिर रखकर आंखों को बंद कर लेना चाहिए। जब तक चक्कर आना बंद या कम न हो जाए, मरीज को बिस्तर पर ही लेटे रहना चाहिए।
कभी कभी चक्कर आने के साथ ही मरीज को जी मिचलाना, उल्टी आना जैसी बातों से भी सामना करना पड़ सकता है। इस बीच रोगी को कोई भी चीज खाने-पीने के लिए नहीं देनी चाहिए और आंख बंद करके सोये रहने की ही सलाह देनी चाहिए।
यात्रा की वजह से चक्कर आ रहे हों तो यात्रा शुरू करने से एक घंटे पहले चिकित्सक की सलाह से कोई अच्छी औषधि सेवन करके ही यात्रा शुरू करनी चाहिए। यात्रा से पूर्व पुदीन हरा, संतरे का रस या गाजर का रस उचित मात्रा में ले लेने पर भी मोशन सिकनेस के कारण चक्कर नहीं आते हैं।
लो ब्लडप्रेशर के रोगी को जब चक्कर आने लगे तो उन्हें बिस्तर पर लेट जाना चाहिए। ऐसे रोगी को खड़ा होना हो तो कुछ पकड़कर धीरे-धीरे से खड़ा होना चाहिए। खाने में पौष्टिक आहारों का प्रयोग कराते रहने से इस व्याधि के कारण आने वाले चक्करों में कमी आती है।
आधा सीसी के दर्द के कारण अगर चक्कर आ रहे हों तो रोगी को चाकलेट, पनीर, पालक आदि की सामग्रियों को नहीं खिलाना चाहिए। रोगी को चकाचौंध करने वाली तेज रोशनी से अलग मध्यम रोशनी वाले कक्ष में आंख बंद करके लेटा देना चाहिए। रोगी के सिर पर बाम आदि मरहम मलने से सिर दर्द के साथ ही चक्कर आने भी बंद हो जाते हैं।
गरदन के दर्द के कारण चक्कर आने पर रोगी को ब्रह्ममुद्रा अर्थात गर्दन की कसरत नियमित रूप से करने की आदत डालनी चाहिए। सरवाइकल कॉलर अर्थात गले में पट्टा नहीं बांधना चाहिए। गर्दन के दर्द के साथ ही चक्कर आना भी समाप्त हो जाता है। रोगी को सिर के नीचे तकिये को रखना छोड़ देना चाहिए। मिनियर्स डिसीज के कारण चक्कर आने पर रोगी को नमक खाना छोड़ देना चाहिए।
जब चक्कर आ रहे हों तो कुछ सावधनियों का पालन करना भी जरूरी होता है। चक्कर आते वक्त पैदल चलना, वाहन चलाना, सड़क पार करना, ऊंची नीची जगह पर चढ़ना उतरना, अंधेरे में चलना, बालकनी या ऊंची नीची जगह से नीचे झांकना आदि से बचना चाहिए। आग एवं पानी से भी दूर रहना चाहिए।
कमजोरी से चक्कर आते हों तो एक चम्मच ग्लूकोज एक कप पानी में डालकर रोज पीना चाहिए। ठीक वक्त पर भोजन करना, पर्याप्त नींद सोना, पौष्टिक आहार लेना, भोजन के साथ फलों का सेवन नियमित करना चाहिए। नियमित व्यायाम, प्रातः काल टहलना, योगाभ्यास आदि के माध्यम से चक्कर आने की स्थिति को काबू में लाया जा सकता है।
चक्कर आने वाले व्यक्तियों को शराब नहीं पीनी चाहिए तथा ऐसी औषधियों का सेवन भी नहीं करना चाहिए जो चक्कर को पैदा करती हों। हायपोथायराडिज्म, अनीमिया, मधुमेह आदि का उचित उपचार करवाना आवश्यक होता है। कोई भी औषधि अपनी मर्जी से नहीं लेनी चाहिए तथा अधिक उपवास, अनियमित भोजन आदि का त्याग भी कर देना हितकर हो सकता है। पूनम दिनकर(स्वास्थ्य दर्पण)