

एक अनुमान के तहत विश्व की करीब चालीस प्रतिशत आबादी जोड़ों के किसी न किसी दर्द से परेशान होती है। इसे गंभीरता से नहीं लेने के कारण मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। गठिया नामक बीमारी की चपेट में अब कम उम्र के लोग भी आने लगे हैं। उम्र बढ़ने के साथ-शरीर के अंगों में शिथिलता आनी शुरू हो जाती है और लचीलापन कम होता जाता है।
इसके साथ आवश्यकता से अधिक भोजन करने, वजन उठाने तथा सही ढंग से नहीं बैठने वाले गठिया के मरीज बन जाते हैं। इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेने पर जोड़ घिसकर धीरे-धीरे विकृत होने लगते हैं। इससे पीड़ित रोगी असहनीय पीड़ा से ग्रस्त होकर लंगड़ा कर चलने लगता है। विशेषज्ञों का मानना है कि तापमान में गिरावट होने से रक्तवाहिनी संकुचित होने से रक्त प्रवाह कम होने से जोड़ों में अकड़ाहट बढ़ जाती है।