
कोलकाता - आयुर्वेद में गन्ने के रस को शीतल व रोगों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। गन्ने में विटामिन बी की काफी मात्रा होती है जो शरीर के लिए एक उत्तम टॉनिक है।
इससे शरीर को लोहे की प्राप्ति होती है जो शरीर में रक्त की कमी को पूरा करती है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, वसा व कार्बोज उचित मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही यह अनेक रोगों को दूर करने में भी सहायक है।
●लगातार हिचकी आ रही हो तो गन्ने का रस पीने से लाभ होता है।
●गर्मी की ऋतु में गन्ना चूसने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
●सूखी खांसी होने पर भोजन के बाद इसका सेवन करें।
●गन्ना शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
●पीलिया रोग में सुबह-शाम इसका सेवन करने से अत्यंत लाभ होता है।
●आवाज सुरीली बनाने हेतु अदरक के साथ गन्ना चूसें।
●कब्ज होने पर इसके रस को पका कर पीयें। इससे पेट साफ होता है।
●खून में यदि शर्करा की कमी पाई जाए या चक्कर आते हों तो गन्ने के रस का सेवन अति लाभकारी सिद्ध होता है।
●नियमित गन्ना चूसने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
●गन्ना चूसने से दांतों की चमक में वृद्धि होती है व दांत मजबूत होते हैं।
●सीने में जलन होने पर गन्ना चूसने से लाभ होता है।
●गन्ने का रस पीने से बार-बार उल्टी का आना बन्द होता है व मन को ताजगी मिलती है।
●पथरी होने पर प्रतिदिन गन्ना चूसें। इससे पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाएगी।
●गर्मियों में लू लगने से बचने के लिए जौ का सत्तू खाकर गन्ने का रस पीएं।
●गन्ने के रस में, मूली का रस मिलाकर पीने से कुकर खांसी में आराम मिलता है।
●छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हों तो उन्हें भोजन से पहले 100 ग्राम गन्ने का रस पिलाने से लाभ होता है।
●गन्ना चूसने से मूत्र संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।
●गन्ना पतले लोगों के लिए अति लाभकारी है।