

कोलकाता: जिस प्रकार शारीरिक सौंदर्य के लिए प्रत्येक अंग का पुष्ट व सुगठित होना आवश्यक है। उसी प्रकार जीवन के लिए जल, वायु, भोजन इत्यादि आवश्यक तत्वों के साथ सूर्य स्नान लेना भी महत्त्वपूर्ण है। अक्सर लम्बे घूंघट व बंद घरों में रहने वाली पर्दानशीन औरतों की ज़िंदगी का अधिकतर भाग बीमारियों में गुजरता है। कारण है धूप की कमी। इस मामले में मजदूर महिलाएं ज्यादा भाग्यशाली हैं। आपने देखा होगा बहुत से पौधे पर्याप्त प्रकाश न मिलने के कारण पीले होकर मुरझा जाते हैं जबकि दूसरे पौधे पर्याप्त धूप मिलने के कारण खूब फलते-फूलते हैं।
सूर्य की धूप में मल, विकार, दुर्गंध व विष दूर करने की अद्भुत शक्ति होती है। पसीने में भीगे कपड़े बिना धोये धूप में सुखाने से दुर्गन्ध रहित हो जाते हैं। इसी प्रकार रोगी को सूर्यस्नान कराने से उसकी कमजोरी दूर होती है। रोगी व्यक्ति को सूर्यस्नान ऐसी जगह करवाना चाहिए, जहां तेज हवा न चलती हो। बहुत गंभीर रोगी को बहुत हल्के वस्त्र पहनाकर चारपाई पर लिटाकर प्रात:काल सूर्यस्नान करवाना चाहिए। रोगी को सूर्यस्नान उसकी इच्छानुसार कराना चाहिए। जब वह धूप में ऊब जाये या उसे सिरदर्द होने लगे तो उसे फौरन हटा लेना चाहिए।