

कोलकाता : एक मां-बाप के लिए अपनी संतान को खो देना शायद सबसे बड़ा दुःख होता है, लेकिन जब उस दुःख को मानवता की सेवा में बदल दिया जाए, तो वह एक प्रेरणा बन जाती है। ऐसा ही एक अद्भुत उदाहरण पेश करते हुए एक 15 वर्षीय किशोरी ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में कई अन्य जिंदगियों को नई रोशनी दी है। 28 मार्च को दोपहर 2 बजे इस किशोरी को सीएमआरआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 4 अप्रैल को डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद परिजनों ने जिस साहस और मानवता का परिचय दिया, उसने सभी को भावविभोर कर दिया। उन्होंने अपनी बेटी के अंगों का दान कर अन्य लोगों को जीवनदान देने का निर्णय लिया।
मानवता की मिसाल बनी यह पहल
परिवार के इस फैसले से न केवल अंगों की आवश्यकता वाले मरीजों को जीवनदान मिला, बल्कि एक करुणा और सहयोग का संदेश भी बन गया। कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अंगों का सही तरीके से आवंटन किया गया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह पवित्र कार्य पूरी गरिमा के साथ संपन्न हो। अस्पताल में डॉक्टरों, नर्सों और स्टाफ ने इस किशोरी को एक नायक की तरह विदाई दी। पूरे स्टाफ ने मौन रहकर उसे सलामी दी। सीएमआरआई अस्पताल के यूनिट हेड सुब्रत रॉय ने कहा, 'इस बच्ची ने अपने जीवन के अंतिम समय में हमें सच्चे अर्थों में जीवनदान का पाठ पढ़ाया है। उसके परिवार का साहस और निर्णय हमारे दिलों में सदा के लिए अंकित रहेगा। वह केवल एक डोनर नहीं, बल्कि मानवता के लिए प्रेरणा है, जो आने वाली पीढ़ियों को निःस्वार्थ सेवा की सीख देती रहेगी।'