नयी दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने स्तन कैंसर के इलाज के लिए एक उन्नत ‘इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल’ विकसित किया है जिसके दुष्प्रभाव काफी कम हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार इस उन्नत इंजेक्शन के जरिये दिये जाने वाले ‘हाइड्रोजेल’ के दुष्प्रभाव कैंसर के पारंपरिक उपचारों से जुड़े दुष्प्रभावों की तुलना में काफी कम हैं। बोस इंस्टिट्यूट, कोलकाता के सहयोग से किये गये इस शोध को रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री की पत्रिका ‘मैटेरियल्स होराइजन्स’ में प्रकाशित किया गया है। आईआईटी-गुवाहाटी के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर देबप्रतिम दास ने कहा कि कैंसर दुनिया भर में लाखों रोगियों को प्रभावित कर रहा है लेकिन कीमोथेरेपी और सर्जिकल उपचार पद्धति जैसे मौजूदा उपचारों की कड़ी सीमाएं होती हैं। प्रोफेसर दास ने कहा कि ट्यूमर को शल्य चिकित्सा (सर्जरी) द्वारा हटाना कभी-कभी संभव नहीं होता, विशेष रूप से आंतरिक अंगों के लिए, जबकि कीमोथेरेपी की प्रणालीगत प्रक्रिया अपनाये जाने से अक्सर कैंसरग्रस्त और स्वस्थ दोनों कोशिकाओं पर प्रभाव पड़ने के कारण हानिकारक दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं। हमने एक हाइड्रोजेल डिजाइन करके इन चुनौतियों का समाधान किया है, जो ट्यूमर वाले स्थान पर दवाओं को सटीक रूप से पहुंचाता है, जिससे लक्षित कोशिकाओं का इलाज सुनिश्चित होता है। हाइड्रोजेल जल-आधारित, त्रि-आयामी बहुलक नेटवर्क हैं जो तरल पदार्थ को अवशोषित करने और बनाये रखने में सक्षम हैं। उनकी अनूठी संरचना जीवित ऊतकों की नकल करती है, जिससे वे जैव-चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बन जाते हैं।
आईआईटी-गुवाहाटी ने बनाया स्तन कैंसर के उपचार के लिए ‘हाइड्रोजेल’ इंजेक्शन
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