FSSAI : अखबार में रखा खाना खाने से हो सकती हैं कई गंभीर बीमारियां, तुरंत बदलें ये आदत

FSSAI : अखबार में रखा खाना खाने से हो सकती हैं कई गंभीर बीमारियां, तुरंत बदलें ये आदत
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नई दिल्ली : भारत में स्ट्रीट फूड पर खाने का कल्चर बहुत ही ज्यादा पॉपुलर है। ये स्ट्रीट वेंडर्स अक्सर समोसा, जलेबी, भेल आदि खाने वाली चीजों को अखबार में पैक करके दे देते हैं। लोग भी इसे बड़े आराम से इस्तेमाल करते हैं, लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से कभी भी खाद्य पदार्थों को अखबार में नहीं पैक करना चाहिए। अखबार में इस्तेमाल की जाने वाली इंक आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। क्या आप जानते हैं कि अखबार में खाना रखकर खाने से आप कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने हाल ही में एक निर्देश जारी किया है जिसके मुताबिक खाने की चीजों को अखबार में पैक करने, परोसने या फिर स्टोर करने से सेहत को कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं। FSSAI ने सभी फूड वेंडर्स को ऐसा न करने की सलाह दी है, तो आइए जानते हैं कि अखबार में परोसा या पैक किया हुआ खाना खाने से सेहत को कौन से नुकसान हो सकते हैं।
सेहत पर क्या असर डालता है अखबार में परोसा खाना
FSSAI के बताए गए निर्देशों के अनुसार अखबारों को छापने में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कई सारे खतरनाक केमिकल्स मौजूद होते हैं, जो खाने के साथ हमारे शरीर के अंदर जाकर कई गंभीर रोग पैदा कर सकते हैं। यदि आप काफी लंबे समय से अखबार में लपेटे खाने का सेवन कर रहे हैं तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा भी बढ़ सकता है। अगर आप तेल में भुनी चीजों को अखबार पर रखकर खाते हैं तो इसकी इंक तेल के साथ चिपक कर शरीर के अंदर चली जाती है जिसकी वजह से पाचन से जुड़ी कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। इसके अलावा अखबार में लिपटे होने की वजह से खाने की क्वालिटी भी खराब हो जाती है जो हमारे इम्यून सिस्टम पर भी असर डाल सकता है।
खतरनाक केमिकल्स वाली स्याही का इस्तेमाल
FSSAI के सीईओ जी . कमलावर्धन राव ने बताया कि अखबार को छापने के लिए जिस स्याही का इस्तेमाल किया जाता है उसमें सीसा और भारी धातुओं समेत कई तरह को केमिकल्स होते हैं, जो खाने को कंटामिनेटेड बना सकते हैं। वहीं, जब अखबारों को बांटा जाता है तो वो कहां और कैसे रखे जाते हैं इस पूरे प्रोसेस के दौरान अखबार कई सारे बैक्टीरिया और वायरस के संपर्क में आ सकते हैं, जो अखबारों से हम तक और फिर खाने के जरिए हमारे शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं।

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