कोलकाता : बवासीर यानी पाइल्स की बीमारी से भारत की लगभग आधी आबादी रूबरू हो चुकी है क्योंकि यह उम्र के किसी भी पड़ाव में दस्तक दे देती है। जो लोग इसके भुक्तभोगी हैं, वे जानते हैं कि कितनी तकलीफदेह है यह। बवासीर है क्या? यह गुदा के अंदर की खून की नसों का फूलना है। कभी-कभी तो गुदामार्ग से खून का बहाव भी होता है। उसे खूनी बवासीर का नाम दिया जाता है। जिनको गुदामार्ग से खून न आकर शौच के बाद काफी दर्द और जलन होती है, इसे सूखी बवासीर कहा जाता है। दोनों ही तरह की बवासीर रोगी को तकलीफ पहुंचाती है। जिन लोगों को कब्ज होती है उन्हें शौच करते समय जोर लगाना पड़ता है। इससे गुदा के अंदर खून की नसें काफी फूल जाती हैं।
कारण…
● पाइल्स आनुवंशिक भी हो सकती है।
● लगातार कब्ज से पाइल्स हो सकती है।
● रहन सहन के गलत तौर तरीके।
● खान पान की आदतों का गलत होना।
● लगातार कुर्सी पर बैठ कर काम करने वालों को भी हो सकती है।
● गर्भवती महिलाओं को गर्भाशय के बढऩे के कारण भी हो सकती है।
लक्षण…
●पाइल्स से खून का स्राव होना।
● शौच त्याग करते समय गुदा मार्ग में दर्द होना।
● गुदामार्ग के आस पास खुजली होना।
● मस्सों का बाहर आना।
● इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो डाक्टर से अवश्य परामर्श करें।
परहेज…
● कब्ज दूर करने के लिए हरी सब्जियां, सलाद, फल का सेवन नियमित करें।
● गरिष्ठ और जंक फूड से दूरी बना कर रखें।
● आटे में चोकर मिलाकर चपाती बनाएं।
● दिन में एक बार नियमित रूप से ईसबगोल का सेवन करें।
● अधिक मसालेदार भोजन न करें।
● पानी का खूब सेवन करें।
● शौच दिन में दो बार जाएं।
जोर न लगाएं।
शौच करते समय कुछ समय शौच पर ही दें। जल्दी न करें।
क्या करें…
शुरुआती दौर में खान पान पर पूरा ध्यान दें। अपना लाइफ स्टाइल बदलें। रेशेदार भोजन करें। 50 प्रतिशत लोग प्रारम्भ में ठीक हो जाते हैं।गर्भावस्था काल में हुई तकलीफ अधिकतर डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है। 50 प्रतिशत लोगों को इलाज की आवश्यकता पड़ती है। पहली और दूसरी डिग्री पाइल्स में इजेक्शन, रबर बैंड पद्धति और क्रायोसर्जरी टेक्नीक उपयोगी होती है। इस बात का फैसला डाक्टर जांच के बाद ही कर पाता है।
निदान…
पाइल्स का पता लगाने के लिए प्रोक्टोस्कोपी करवानी पड़ती है। इसके साथ अगर अवश्यक हो तो सिगमायडोस्कोपी करवा लेनी चाहिए डाक्टर के परामर्श अनुसार क्योंकि कई बार जब गुदा मार्ग से खून का रिसाव होता है तो जरूरी नहीं उसका कारण पाइल्स हो। इस टेस्ट से पता चल जाता है कि कोई अन्य कारण तो नहीं है जैसे कि ऊपरी आंत का कैंसर या कोई और गंभीर बीमारी।