

कोलकाता - अधिकतर लोग माइग्रेन का तात्पर्य तेज सिर दर्द मानते हैं, किंतु यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिना दर्द का भी माइग्रेन हो सकता है। बिना दर्द वाले इस माइग्रेन को आक्युलर माइग्रेन या आप्थैल्मिक माइग्रेन भी कहते हैं। यह एक तरह का साईलेंट माइग्रेन है, जिसमें दर्द नहीं होता। इस माइग्रेन का सबसे अधिक प्रभाव आंखों पर पड़ता है। यदि साइलेंट माइग्रेन अधिक बढ़ जाए तो पीड़ित व्यक्ति को यह अंधा भी बना सकता है।
बढ़ रहे हैं माइग्रेन के रोगी
माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा में एकतरफा दर्द या अधकपारी का दर्द भी कहा जाता है। इसमें सर का दर्द बहुत तेज एवं तड़ता देने वाला होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति लाचार एवं कभी-कभी बेहोश भी हो जाता है। रोशनी से वह बेचैन हो जाता है। किसी भी काम में मन नहीं लगता। दिनों दिन दुनिया भर में इसके रोगी बढ़ते जा रहे हैं। हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है।
इसका सबसे बड़ा कारण भाग-दौड़ भरी आधुनिक जिंदगी को भी माना जाता है। यह तनाव से भरी आधुनिक जिंदगी अब सबके जीवन का अभिन्न अंग बनती जा रही है और लोग इसे बदलने का प्रयास भी नहीं करते। उल्टा लोग इसी के अनुरूप अपने जीवन को ढाल लेते हैं। तनाव भरे वातावरण से सिरदर्द बढ़ता जाता है और आगे चलकर यही ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, माइग्रेन आदि के रुप में सामने आता है। यदि यह स्थिति सामने आए तो समझिए आप माइग्रेन के शिकार हो रहे हैं।
साइलेंट माइग्रेन के कारण
सामान्य माइग्रेन की शुरुआत मस्तिष्क में अनियंत्रित इलेक्ट्रिकल गतिविधियों के कारण होती है। इसी प्रकार से साइलेंट माइग्रेन की शुरुआत भी होती है। यह माइग्रेन महिलाओं में अधिक पाया जाता है। इस तरह के माइग्रेन का कारण आधुनिक जीवन शैली है। एमएसजी मोनो सोडियम ग्लुटामेट वाले आहारों का अधिक सेवन, तेज रोशनी में काम करना, तनाव के कारण और मौसम में अचानक बादलाव के कारण यह माइग्रेन हो सकता है।
इसका आंखों पर प्रभाव
सामान्यतया यह माइग्रेन सिर की रक्तवाहिकाओं को प्रभावित करता है मगर आक्युलरसाइलेंट माइग्रेन रेटिना की रक्तवाहिकाओं को भी प्रभावित करता है, जिससे आंखों से दिखने संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। वास्तव में आंखों में रेटिना के पीछे बहुत महीन रक्तवाहिकाएं होती हैं। आक्युलर साइलेंट माइग्रेन के कारण इन कोशिकाओं में ऐंठन शुरू हो जाती है, जिसके कारण दिखने संबंधी परेशानी शुरू होने लगती है।