दिवाली की रात क्यों होती है मां काली की पूजा? जानें इसका विशेष महत्व

दिवाली की रात क्यों होती है मां काली की पूजा? जानें इसका विशेष महत्व
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कोलकाता: दीपावली का त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां और बहार लेकर आता है। इस लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ काली मां की पूजा का विशेष महत्व है। दिवाली की रात को महानिशीथ काल भी कहा जाता है। यह रात सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। इस निशीथ काल का सदुपयोग करने वाले माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

महानिशा और श्यामा पूजा भी होता है इसी दिन  

यूं तो पूजन का फल भगवान अवश्य ही देते हैं किंतु दीपावली की रात यानी निशीथ काल में की गई पूजा विशेष फल देने वाली होती है। देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों में से ही है काली माता का स्वरूप सिद्धि और पराशक्तियों की आराधना करने वाले साधकों की इष्ट देवी मानी जाती हैं, लेकिन केवल तांत्रिक साधना के लिए ही नहीं अपितु आम जन के लिए भी महाकाली की पूजा विशेष फलदायी बताई गई है। काली पूजा को महानिशा और श्यामा पूजा भी कहा जाता है। निशीथ काल में महाकाली की पूजा करनी चाहिए।

विद्यार्थी करें इष्ट देव का जाप

इस रात में कनकधारा स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायी होती है, इसलिए इस काल में मां लक्ष्मी के सामने कुशा के आसन में बैठकर दीपक जला लें और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। यदि पाठ नहीं कर सकते है तो भी मां लक्ष्मी के मंत्र के एक, पांच, सात या 11 माला का जाप करें। पढ़ने वाले अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को इस रात अपने ईष्ट देव का जाप करना चाहिए, निश्चित रूप से इस दिन किए गए जाप का फल अवश्य मिलता है। परिवार के साथ भजन सुनना सुनाना चाहिए, कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन भी कर सकते हैं। लेकिन इस सबसे महत्वपूर्ण काल को बेकार नहीं जाने देना चाहिए।

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