

चेन्नई : तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने इरोड जिले के भवानी स्थित संगमेश्वर मंदिर के प्रशासन में किसी भी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप से रविवार को इनकार करते हुए कहा कि दुकानों की पारदर्शी नीलामी की गई जिससे मंदिर को अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है।
भवानी नगर में कावेरी, भवानी और रहस्यमयी अमुधा नदियों के संगम पर स्थित इस मंदिर का प्रबंधन हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एवं सीई) द्वारा किया जाता है और यहां साल भर हजारों श्रद्धालु आते हैं।
हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने कुछ वर्गों द्वारा लगाए गए मंदिर की दुकानों की नीलामी में अनियमितताओं के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘मंदिर को बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के दुकानों की पारदर्शी नीलामी के माध्यम से पिछले वर्ष की तुलना में अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। नीलामी के कारण मंदिर को राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ है।’
मंदिर के सहायक आयुक्त/कार्यकारी अधिकारी ने यहां एक बयान में कहा कि ये आरोप ‘राजनीतिक और गुप्त उद्देश्यों से लगाए गए हैं तथा ये झूठे हैं।’ अस्थायी रूप से बनाई गई दुकानों की सार्वजनिक नीलामी से मंदिर को राजस्व का नुकसान होने के आरोप का खंडन करते हुए अधिकारी ने कहा कि भवानी अरुलमिगु संगमेश्वर मंदिर में 4,950 वर्ग फुट की जमीन अस्थायी दुकानें बनाने के बाद नीलाम की गई।
कुल क्षेत्रफल में से 1,800 वर्ग फुट भूमि को पार्किंग स्थल के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी गई और 3,150 वर्ग फुट भूमि को अस्थायी दुकानें बनाने के लिए आवंटित किया गया। अधिकारी ने बताया कि इस आशय का एक प्रस्ताव मंदिर न्यासी मंडल द्वारा पारित किया गया। तदनुसार, आवंटित 3,150 वर्ग फुट क्षेत्र में अस्थायी दुकानों के निर्माण के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाले को ठेका दिया गया और नीलामी 31 अक्टूबर को हुई।
बयान में कहा गया है, ‘‘पिछले वर्ष की बोली (4,950 वर्ग फीट क्षेत्र के लिए) की तुलना में बोली राशि (जीएसटी को छोड़कर) में 32.01 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस वर्ष 13,33,333 रुपये की बोली लगाई गई जबकि पिछले साल यह राशि 10,10,000 रुपये थी।
यह भी पढ़े :- 250 साल पुराना तिब्बती मठ अब गुमनाम है