कोलकाता : नवरात्रि में हनुमान जी की उपासना विशेष फलदाई है। वैसे तो वह केवल जय सियाराम बोलने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। हमारे धर्मशास्त्रों में उनकी उपासना की विशेष विधि भी बताई गई है। जिससे उनके दर्शनों से लेकर मनचाहे फल तक की इच्छा पूर्ण की जा सकती है। हनुमान जी कलयुग के साक्षात देव हैं, उनकी उपासना से हर संकट का अंत होता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि हनुमान जी शिव के रुद्रावतार हैं। इनका जन्म वायुदेव के अंश और अंजनि के गर्भ से हुआ जो केसरी नामक वानर की पत्नी थीं। पुत्र न होने से वह दुखी थीं। मतंग ऋषि के कहने पर अंजनि ने 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की जिसके फलस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ।
नवरात्रि के मंगलवार इस विधि से करें हनुमान जी की पूजा
हनुमान चालीसा का पाठ रामबाण सा प्रभाव देता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन इसका पाठ करता है, वह हनुमान जी का शरणागत हो जाता है। उसे कोई भी अपना बंधक नहीं बना सकता। उस पर कभी किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता। भक्तों को 108 बार गोस्वामी तुलसी दास कृत हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। पाठ शुरू करने के पहले रामरक्षास्तोत्रम् का पाठ अवश्य करना चाहिए। अगर एक बैठक में 108 बार चालीसा पाठ न हो सके तो इसे दो बार में पूरा कर सकते हैं।
हनुमान जी की पूजा-पद्धति
हनुमान जी की प्रतिमा पर तेल एवं सिंदूर चढ़ाया जाता है। उन्हें फूल भी पुरुषवाचक जैसे गुलाब, गेंदा आदि चढ़ाना चाहिए। सुंदरकांड या रामायण के पाठ से वह प्रसन्न होते हैं। प्रसाद के रूप में चना, गुड़, केला, अमरूद या लड्डू चढ़ाया जाता है।
हनुमान जी को लाल फूल प्रिय हैं। अत: पूजा में लाल फूल ही चढ़ाएं।
मूर्ति को जल व पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिंदूर में तेल मिलाकर उनको लगाना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं।
साधना हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही शुरू करनी चाहिए।