गणेश चतुर्थी 2024: विघ्नहर्ता की पूजा के साथ कल से गूंजेंगे ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयघोष | Sanmarg

गणेश चतुर्थी 2024: विघ्नहर्ता की पूजा के साथ कल से गूंजेंगे ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयघोष

कोलकाता: गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर 2024 को मनाया जा रहा है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता माना जाता है, और उनकी पूजा हर नए कार्य की सफलता के लिए अनिवार्य मानी जाती है।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। यह दिन विशेष रूप से गणपति बप्पा की पूजा और उनके स्वागत के लिए समर्पित है। भक्तगण भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना अपने घरों, पंडालों और मंदिरों में करते हैं और दस दिनों तक उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग और पूजा अर्पित करते हैं। यह पर्व ज्ञान, सौभाग्य, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक है।

पूजा विधि और अनुष्ठान

गणेश चतुर्थी की पूजा प्रात:काल स्नान करके शुद्धता और विधिपूर्वक की जाती है। भगवान गणेश की स्थापना एक चौकी पर की जाती है, जिसे फूलों, दूर्वा, और अन्य सजावटी सामग्री से सजाया जाता है। मूर्ति स्थापना के बाद गणपति की आरती, भजन और मंत्रोच्चार किए जाते हैं। विशेष रूप से मोदक, लड्डू और दूर्वा का भोग लगाया जाता है, जो गणपति जी को अत्यंत प्रिय हैं। भक्तजन गणपति की महिमा के गीत गाते हुए पूरे माहौल को भक्तिमय बना देते हैं।

पंडालों और झांकियों की धूम

गणेश चतुर्थी के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी विभिन्न स्थानों पर भव्य पंडाल सजाए गए हैं। हर पंडाल की सजावट अपने आप में अनूठी और मनमोहक होती है। भव्य झांकियों के माध्यम से गणपति की लीलाओं का चित्रण किया जाता है, जो दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। कोलकाता के प्रसिद्ध ‘बांसतल्ला के महाराजा’ जैसे कई पंडाल अपने खास थीम और भव्यता के लिए चर्चित रहते हैं।

समाज सेवा और सांस्कृतिक कार्यक्रम

गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। इस दौरान विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाएं भजन-कीर्तन, नृत्य और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। कोमल चेरिटेबल ट्रस्ट जैसी संस्थाएं जरूरतमंदों की सेवा और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करती हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव दस दिनों तक चलता है, जिसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ होता है। भक्तजन गणपति बप्पा की प्रतिमाओं का विसर्जन नाचते-गाते और ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के जयघोष के साथ करते हैं। इस विदाई के साथ भक्तजन गणेश जी से अगले वर्ष पुनः आने की कामना करते हैं। गणेश चतुर्थी 2024 हम सभी के लिए नई उम्मीदें, खुशियां और सफलताओं का संदेश लेकर आए। आइए, हम सब मिलकर गणपति बप्पा की आराधना करें और उनसे अपने जीवन को विघ्नमुक्त बनाने की प्रार्थना करें।

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