

कोलकाता : हर इंसान के लिए उसका जन्मदिन एक विशेष दिन है, इसे उत्सव के रूप में विधि-विधान से मनाना चाहिए। प्रायः जन्मदिन का उत्सव केक काटकर, मोमबत्तियों को बुझाकर, गुब्बारे फोड़कर मनाया जाता है। पहला जन्म, दूसरा विवाह और तीसरा मृत्यु। ऐसा माना जाता है कि जन्मदिवस पर आयु का एक और वर्ष निकल गया है जो वापस अब कभी नहीं मिलेगा इसलिए उतनी ही मोमबत्ती जलाकर बुझाई जाती है, लेकिन हिंदू पद्धति में जन्मदिन के सुअवसर पर दीर्घायु की मंगलकामना हेतु दीपक जलाए जाते हैं।
वैदिक पद्धति से मनाएं जन्मदिन
जन्मोत्सव विधिपूर्वक मनाने से आयु एवं आरोग्य की वृद्धि होती है, जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। जन्मदिन पर पूजा, होमादि के अतिरिक्त शास्त्रकारों ने विशेष नियमों का पालन करने के निर्देश दिए हैं, उन्हें सावधानीपूर्वक करने से अरिष्ट की शांति और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। वैदिक परम्परा के अनुसार जन्मदिन के शुभ अवसर पर दीप जलाने चाहिए ताकि आगे का जीवन मंगलमय रहे। जितनी वर्ष की आयु पूर्ण हो चुकी हो, उतने ही दीपक भगवान के सामने जलाने चाहिए, इससे वर्ष भर अनिष्टों से रक्षा होती है। जन्मदिन के दिन जितने वर्ष पूर्ण हो चुके हों, उनकी संख्या में छोटे दीए जलाएं और आने वाले वर्ष की मंगलकामना के लिए एक बड़ा दीपक जलाना चाहिए। अगर किसी बच्चे का नौवां जन्मदिन है तो थोड़े-से चावल लेकर उन्हें हल्दी, कुमकुम, आदि से रंगकर स्वास्तिक बना लें। उस स्वास्तिक पर नौ छोटे-छोटे दीए रख दें और दसवें वर्ष की शुरुआत के प्रतीक रूप एक बड़ा दीया जलाएं।
जन्मदिन पर वर्जित कार्य
जन्मदिन पर नाखून तथा बाल नहीं कटवाने चाहिए। मांस-मदिरा, तामसिक वस्तुओं का सेवन भी न करें। कलह, हिंसा, लंबी यात्रा, क्रोध, व्यर्थ वार्तालाप, जुआ आदि नकारात्मक कृत्यों से परहेज करना चाहिए।
जन्मदिन पर अवश्य करें ये कार्य