कृष्ण लीला।।

कृष्ण लीला।।
Published on
बंदीगृह से सिंहासन पायो, मथुरा से गोकुल है जायो।

शेषनाग लाभअवसर पायो, बरिखा भार निज फन पर ढायो।

पहुँच नंद धाम मध्य रजनी में, नंद बाबा के भाग्य खुलायो।

प्रभू सूरत को देख यशोदा,सम्हाल नहीं निज पन को पायो।

शंकर संत रूप धारण कर, प्रभू दर्शन करने को आयो।

किंतु, ऐसी माखन लत है लगायो, वानर संग मिल मिल कर कान्हा मटकी माखन की लेत चुरायो।

एक समय मैया को तमने, मुख में सारा संसार दिखायो।

वृक्ष गिरा ओखल से तमने, कुबेर पुत्रो का उद्धार करायो।

ग्वाल-बाल संग गैया चढ़ावत,बंसी मीठी लेत बजायो।

वनवासी राजा को तमने, इन्द्रप्रस्थ का सुख है दिलायो।

रण भूमि में तमने कान्हा,गीता का उपदेश सुनायो।

अंतः क्षण में तमने कान्हा,एक बाण से देह छुड़ायो।




----कविता निर्माता - प्रिंस झा

पता :- 188/2A Mainltalla main road kolkata-54


संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in