

नई दिल्ली (सन्मार्ग ब्यूरो) : भारत के रेतीले और गर्म राज्य राजस्थान में इस बार जुलाई में 69 वर्षों में सबसे अधिक बारिश हुई। राज्य में कुल 285 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 1956 के बाद सबसे अधिक है। राजस्थान के कई हिस्सों में लगातार भारी बारिश ने सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें लोग कंधों तक पानी में चलते या तैरते दिख रहे हैं।
तारानगर (चूरू) में बीते 24 घंटों में 185.0 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो राज्य में सर्वाधिक रही। जयपुर मौसम केंद्र ने इसकी पुष्टि की। धौलपुर जिले में पर्वती नदी में बाढ़ से एक मिनी ट्रक बह गया। इसके बाद पर्वती बांध के चार गेट खोलने पड़े। चंबल नदी खतरे के निशान से 12 मीटर ऊपर बह रही है, जिससे कई इलाके जलमग्न हो गए और सेना को राहत व बचाव कार्यों के लिए बुलाना पड़ा।
क्यों हो रही है इतनी बारिश ?
जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक स्थायी परिवर्तन का संकेत है।
• जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की धारा में बदलाव हुआ है।
• जून के मध्य तक ही अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से मानसून की दोनों शाखाएं एक साथ सक्रिय हो गईं, जिससे बारिश जल्दी शुरू हुई।
• जुलाई के अंत में झारखंड और पूर्वी भारत में बना अवदाब राजस्थान की ओर बढ़ा और भारी वर्षा का कारण बना।
• पिछले दशक में पश्चिमी राजस्थान और गुजरात में मानसून बारिश 40–50% अधिक हो गई है।
• समुद्र सतह का बढ़ता तापमान (एसएसटी) और नमी की अधिक आपूर्ति भी इन परिवर्तनों की मुख्य वजह मानी जा रही है।
पिछले 20 वर्षों में 12 बार पश्चिमी राजस्थान जैसे सूखे इलाकों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है। थार जैसे अति-शुष्क क्षेत्र भी अब बार-बार भारी बारिश के चपेट में आ रहे हैं। भले ही जलवायु परिवर्तन और मानसून बदलाव अब वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुके हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं और आधारभूत ढांचे की तैयारी उसी रफ्तार से नहीं बढ़ी।
लगभग हर साल भारी बारिश के साथ बाढ़, जलजमाव, राहत में देरी और बुनियादी ढांचा चरमरा जाता है। राजस्थान की 2025 की मानसूनी कहानी सिर्फ एक मौसमीय घटना नहीं है - यह भविष्य की चेतावनी है। यह संकेत है कि जलवायु परिवर्तन अब हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।