राजस्थान : बाड़मेर में डीएसपी ने मारा दलित हेड कांस्टेबल को थप्पड़ !, सांसदों ने की जांच की मांग

हेड कांस्टेबल मेघवाल, दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर
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जयपुर : राजस्थान के बाड़मेर जिले में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) द्वारा ड्यूटी के दौरान एक हेड कांस्टेबल को कथित तौर पर थप्पड़ मारने के मामले की 2 सांसदों ने शनिवार को निष्पक्ष जांच की मांग की।

हेड कांस्टेबल रामूराम मेघवाल ने आरोप लगाया कि गुरुवार रात धनाऊ इलाके में एक मामले की जांच करने के बाद लौटते समय चोहटन के डीएसपी जीवनलाल खत्री से उनका विवाद हुआ, जिसके बाद अधिकारी ने कथित तौर पर उन्हें थप्पड़ मार दिया। हेड कांस्टेबल मेघवाल, दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) प्रमुख व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल और बाड़मेर से कांग्रेस सांसद उम्मेदा राम बेनीवाल ने इस घटना की निंदा की।

पुलिस अधिकारी के चालक के रूप में कार्यरत मेघवाल ने दावा किया कि वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने के बावजूद मामले को दबा दिया गया।

मेघवाल ने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक ऑडियो क्लिप में आरोप लगाया, जब मैंने गालीगलौज करने का विरोध किया, तो डीएसपी ने गाड़ी रोककर मुझे थप्पड़ मारा। बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने मुझे समझौते के लिए राजी किया। मुझे विभाग में अलग-थलग किया जा रहा है और मैं ऐसे माहौल में काम नहीं कर सकता। वहीं डीएसपी खत्री ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि कांस्टेबल लापरवाही से गाड़ी चला रहा था।

खत्री ने कहा, मैंने गाड़ी रुकवाई और दूसरी गाड़ी का इंतजाम किया। वरिष्ठ अधिकारियों के सामने मामला सुलझा लिया गया। अब रामूराम बाहरी प्रभाव में आकर झूठे आरोप लगा रहे हैं।

जिला पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा ने मामले की जानकारी मिलने की पुष्टि की और बताया कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया है। बेनीवाल ने कहा कि यह मामला पुलिस के आचरण पर गंभीर चिंताएं पैदा करता है।

उन्होंने कहा, पुलिस के एक अधिकारी द्वारा एक कर्मचारी के साथ ऐसा बर्ताव करना न केवल निंदनीय है बल्कि सरकार की नीतियों पर भी सवालिया निशान है। मैं बिना किसी भेदभाव के उच्च-स्तरीय जांच और न्यायोचित कार्रवाई की अपील करता हूं।

कांग्रेस सांसद ने भी घटना की निंदा की और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने तथा मेघवाल के लिए न्याय सुनिश्चित करने का आग्रह किया। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

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