

जैसलमेर/नयी दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को राजस्थान में अग्रिम इलाका लोंगेवाला का दौरा किया, जहां उन्होंने सैनिकों से बातचीत की और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता में उनकी ‘अनुकरणीय भूमिका’ के लिए बधाई दी। अधिकारियों ने बताया कि जनरल द्विवेदी ने भारतीय वायुसेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ समन्वय में की गई संयुक्त कार्रवाइयों की भी समीक्षा की।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान थलसेना, वायुसेना और बीएसएफ की संयुक्त कार्रवाइयों ने न केवल ‘दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेर दिया’ बल्कि पश्चिमी मोर्चे पर अभियानगत प्रभुत्व बनाए रखने में एक ‘न्यू नॉर्मल’ भी स्थापित किया। पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना के हमले हुए थे, जिसमें पहलगाम हमले के जवाब में 7 मई की सुबह भारत द्वारा की गई रणनीतिक कार्रवाई के बाद भारतीय वायु क्षेत्र में पाकिस्तान की ओर से किये गए ड्रोन हमले भी शामिल हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना ने वायुसेना और बीएसएफ के साथ करीबी समन्वय में, निगरानी के लिए साजो सामान और वायु रक्षा प्रणालियों की तेजी से तैनाती की। पश्चिमी मोर्चे पर, जैसलमेर से कच्छ क्षेत्र तक फैले रेगिस्तान में, तीनों सशस्त्र बलों की ओर से ‘त्वरित और समन्वित संचालन प्रतिक्रिया’ देखी गई।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इन संयुक्त कार्रवाइयों ने न केवल दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेर दिया, बल्कि पश्चिमी मोर्चे पर अभियानगत प्रभुत्व बनाए रखने में एक ‘न्यू नॉर्मल’ भी स्थापित किया। नागरिक प्रशासन का सहयोग लेते हुए, हथियार प्रणालियों की तैनाती ने प्रभावी क्षेत्र वर्चस्व और संभावित खतरों को बेअसर करना सुनिश्चित किया।
सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल निखिल धवन ने बताया कि कोणार्क कोर के सैनिकों के साथ बातचीत में सेना प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा में उनकी वीरता, अटूट प्रतिबद्धता और दृढ़ निश्चय की सराहना करते हुए ‘शाबाश’ कहा।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनरल द्विवेदी ने सैनिकों की सतर्कतापूर्ण कार्रवाइयों के लिए प्रशंसा की, जिनमें ‘दुश्मन के ड्रोन घुसपैठ को सफलतापूर्वक निष्प्रभावी करना’ भी शामिल है, जिससे रेगिस्तान में दुश्मन द्वारा किसी भी दुस्साहस को प्रभावी ढंग से रोका जा सका।
अधिकारी ने बताया कि उन्होंने भारतीय सेना की सम्मान की परंपरा और ‘भविष्य की चुनौतियों का निर्णायक ताकत के साथ मुकाबला करने’ के लिए उसकी दृढ़ता को रेखांकित किया तथा राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करने और गतिशील सुरक्षा वातावरण के बीच उच्च अभियानगत तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए सेना की प्रतिबद्धता दोहराई।