
जयपुर : अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की छत का एक हिस्सा बुधवार शाम भारी बारिश के चलते गिर गया। हालांकि इससे किसी को चोट नहीं लगी। मगर घटना को लेकर जायरीन में आक्रोश है और सूफी संत की सदियों पुरानी दरगाह के रखरखाव पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, छत का एक हिस्सा भारी बारिश के दौरान गिरा। इस दौरान दरगाह में कोई जायरीन नहीं था, इसलिए कोई हताहत नहीं हुआ।
हालांकि, इस घटना ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य के मंत्रालय के अधीन आने वाली दरगाह समिति (डीसी) द्वारा दरगाह के रखरखाव में कथित उपेक्षा और सुरक्षा उपायों की कमी को लेकर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। जायरीन व स्थानीय धर्मगुरुओं ने समिति पर बार-बार चेतावनी के बावजूद दरगाह का संरचनात्मक ऑडिट या आवश्यक मरम्मत कराने में विफल रहने का आरोप लगाया। अंजुमन समिति के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने दरगाह समिति द्वारा दरगाह के संचालन की निंदा की।
उन्होंने कहा, दरगाह समिति पूरी तरह विफल रही है। एक भी ऑडिट नहीं कराया गया। यह सिर्फ़ उपेक्षा नहीं है; यह संस्थागत उदासीनता है। अब पूरे भारत के मुसलमानों को दरगाह को केंद्र के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए अपनी आवाज उठानी चाहिए। अजमेर दरगाह के खादिम (सेवादार) सैयद दानियाल चिश्ती ने भी समिति की निष्क्रियता पर नाराज़गी जताई।
उन्होंने कहा, पिछले दो साल से मैं अपने हुजरे (कमरे) की मरम्मत की अनुमति मांग रहा हूं। हर बारिश के साथ पानी का रिसाव बढ़ता जा रहा है, लेकिन न तो वे कोई जवाब देते हैं और न ही हमें कोई कार्रवाई करने देते हैं। उनकी उदासीनता भयावह है। हालांकि दरगाह समिति ने इस घटना पर बुधवार रात तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हर साल देश-विदेश से लाखों ज़ायरीन आते हैं।