

मुख्य बातें
29 जनवरी को है मौनी अमावस्या
कोलकाता से अधिकतर लोगों ने कर रखी है बुकिंग
ट्रेन की वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रही है लोगों को
144 साल बाद आये शुभ मुहूर्त में सभी करना चाहते हैं स्नान
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : प्रयागराज में संगम की पावन धरा पर 144 साल बाद आयी शुभ घड़ी में तीसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या यानी कि 29 जनवरी को होने जा रहा है। इसे लेकर कोलकाता के लोगों में अलग दीवानगी देखी जा रही है। चाहे व बुढ़े हो या बच्चे सभी भक्ति और आध्यात्म के अद्भुत संगम में डुबकी लगाने को आतुर है। इसमें सभी अपने-अपने हैसियत के अनुसार प्रयागराज जाने की तैयारी में लगे हुए है। 14 जनवरी को पावन मुहूर्त में करोड़ों लोगों ने डुबकी लगायी थी।
कोलकाता से प्रयागराज : महंगा सफर, परेशान श्रद्धालु
कोलकाता एयरपोर्ट अधिकारी ने बताया कि कोलकाता से प्रयागराज के लिए इंडिगो की दैनिक उड़ानों के साथ अलाइंस एयरलाइंस की सप्ताह में 3-4 उड़ानें संचालित हो रही हैं। कोलकाता से प्रयागराज के लिए उड़ानों का किराया 35,000 से 40,000 रुपये तक पहुंच चुका है। वहीं, ट्रेन में टिकट उपलब्ध नहीं है और वेटिंग लिस्ट भी पूरी हो चुकी है। ऐसे में श्रद्धालु इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में स्नान कैसे करेंगे।
बनारस होकर प्रयागराज जाना एक विकल्प
इस समस्या का एक विकल्प ट्रेवल एजेंट्स ने सुझाया है। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्वी अध्यक्ष अंजनी धानुका ने कहा कि यदि यात्री कोलकाता से वाराणसी की फ्लाइट लेते हैं, तो आने-जाने का खर्च करीब 20,000 रुपये होगा। वाराणसी से प्रयागराज का ढाई घंटे का सफर गाड़ी से तय किया जा सकता है। इस दौरान श्रद्धालु प्रयागराज में स्नान करके वापस वाराणसी लौट सकते हैं। मौनी अमावस्या के मौके पर स्नान पर प्रयागराज की ट्रेनों में सीटें फुल हो चुकी है। फ्लाइट्स के किराए भी आसमान छू रहे हैं।
टेंट का किराया भी फाइव स्टॉर होटल की तरह
प्रयागराज में ठहरने के लिए टेंट का किराया भी बढ़कर 15,000 रुपये से 30,000 रुपये तक पहुंच गया है। ऐसे में अधिकतर श्रद्धालु वाराणसी में ही रुकने का विकल्प चुन रहे हैं। वाराणसी से प्रयागराज जाने और लौटने का यह तरीका न केवल किफायती है, बल्कि समय की बचत भी करता है। हालांकि, बढ़ते किराए और सीमित संसाधनों के चलते कोलकाता के श्रद्धालु परेशान हैं। उन्होंने सरकार और रेलवे से अतिरिक्त ट्रेनों और किफायती फ्लाइट्स की मांग की है, ताकि सभी लोग इस पवित्र अवसर पर स्नान का पुण्य लाभ उठा सकें।
मौनी अमावस्या का शाही स्नान बेहद खास
29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर स्नान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसकी वजह ये है कि इस दिन पवित्र नदी के जल से किया स्नान आत्मा को शुद्ध करता है। ऐसे में महाकुंभ में पितरों का तर्पण करना चाहते हैं तो मौनी अमावस्या का दिन खास रहेगा। इस दिन संगम किनारे पितरों का श्राद्ध कर्म करने वालों के पितरों की आत्मा तृप्त रहती है। ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तीसरे शाही स्नान की तैयारी शुरू
महाकुंभ 2025 प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका है। अब तक दो शाही स्नान हो चुके हैं। आइये जानते हैं इस बार कुल कितने शाही स्नान हैं और अगला शाही स्नान कब होगा।
13 जनवरी 2025 : पौष पूर्णिमा (पहला शाही स्नान) हो चुका
14 जनवरी 2025 : मकर संक्रांति (दूसरा शाही स्नान) हो चुका
29 जनवरी 2025 : मौनी अमावस्या (तीसरा शाही स्नान) आने वाला
3 फरवरी 2025 : बसंत पंचमी (चौथा शाही स्नान)
12 फरवरी 2025 : माघ पूर्णिमा (पांचवा शाही स्नान)
26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि (अंतिम शाही स्नान)