कोलकाता में 7 महीने की बच्ची से दुष्कर्म के अभियुक्त को फांसी की सजा

कोलकाता में 7 महीने की बच्ची से दुष्कर्म, अभियुक्त को मौत की सजा
कोलकाता में 7 महीने की बच्ची से दुष्कर्म के अभियुक्त को फांसी की सजा
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कोलकाता : बड़तल्ला में 7 महीने की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में एक अदालत ने दोषी को मौत की सजा का आदेश दिया है। मंगलवार को बैंकशाल कोर्ट स्थित विशेष पोक्सो कोर्ट की न्यायाधीश इंद्रिला मुखोपाध्याय मित्रा ने मंगलवार की दोपहर यह फैसला सुनाया। वास्तव में यह अदालती आदेश अभूतपूर्व है क्योंकि पीड़िता की मृत्यु नहीं हुई। हालांकि अदालत का मानना ​​है कि जिस तरह से सात महीने की बच्ची को प्रताड़ित किया गया, वह दुर्लभतम अपराध है। अदालत ने घटना के 80 दिनों के भीतर अपराधी को मौत की सजा देने का आदेश दिया है और साथ ही पीड़ित बच्ची के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। न्यायाधीश इंद्रिला मुखर्जी मित्रा ने आरोपित को पोक्सो अधिनियम के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 118, 137 (2), 140 (1), 140 (4) के तहत दोषी ठहराया। अदालत ने अभियुक्त को 118 बीएनएस के तहत 2 साल की कैद , 5 हजार रुपये जुर्माना या 6 महीने की अतिरिक्त जेल, 137(2 ) बीएनएस के तहत 6 साल की कैद 10 हजार रु. जुर्माना या 1 साल की अतिरिक्त कैद, 140(1) बीएनएस के तहत उम्रकैद, 30 हजार रु. जुर्माना या 1 साल की अतिरिक्त कैद , 140(4) बीएनएस के तहत 9 साल की कैद 20 हजार रु. जुर्माना या 1 साल की अतिरिक्त कैद और 65 (2) बीएनएस एवं पोक्सो (6) के तहत में फांसी की सजा सुनायी है। इसके अलावा अदालत ने डीएलएसए को 10 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार गत 30 नवंबर को फुटपाथ पर रहने वाले एक दंपत्ति ने बड़तल्ला थाने में बच्ची के गुम होने की सूचना दी। कुछ घंटों बाद बच्ची को फुटपाथ से बचा लिया गया। मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। इसमें जांच अधिकारी के तौर पर महिला सब इंस्पेक्टर मानसी माइति राय, एसआई मानस गोस्वामी और एसआई प्रभात कुमार सेनापति शामिल थे। जांच के दौरान पुलिस ने आरोपित को 4 दिसंबर को झाड़ग्राम से गिरफ्तार कर लिया। घटना के 26 दिन बाद आरोपपत्र अदालत में पेश किया गया। जांचकर्ताओं ने सड़क पर लगे कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखकर युवक की पहचान की। अदालत ने सोमवार को उसे दोषी पाया। आरोपित का नाम राजीव घोष है। पुलिस के अनुसार युवक की उम्र 34 वर्ष है। उसका घर झाड़ग्राम के गोपीबल्लभपुर इलाके में है। पीड़ित बच्ची का अब भी अस्पताल में इलाज चल रहा है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद बताया कि उसके गुप्तांगों पर कई चोटें थीं। अस्पताल में प्रारंभिक जांच में भी यौन उत्पीड़न के साक्ष्य मिले। सरकारी वकील ने सोमवार को अदालत के बाहर घटना के बारे में कहा कि हमने कई सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी है। आर.जी. कर अस्पताल से एक विशेषज्ञ डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के लिए आये। डॉक्टर ने यह भी कहा कि यह दुर्लभतम मामला है। जिस तरह से उस बच्ची को प्रताड़ित किया गया वह अकल्पनीय है। अदालत ने आरोपित को दोषी पाया है। उसके माता-पिता उस स्थान से मात्र 100 मीटर की दूरी पर रहते हैं जहां बच्ची बड़तल्ला में फुटपाथ पर पायी गयी थी। घटना वाले दिन बच्ची जब फुटपाथ पर सो रही थी तभी अभियुक्त उसे उठा ले गया था। उस समय कथित तौर पर बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। इस घटना में पुलिस ने बीएनएस की धारा 137(2), 65(2) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया है। फैसला सुनाए जाने के बाद सरकारी वकील विभाष चटर्जी ने कहा, ‘यह फैसला ऐतिहासिक है। कोलकाता पुलिस ने आज इतिहास रच दिया क्योंकि इस घटना में पीड़ित की मृत्यु नहीं हुई। उस मामले में सवाल यह था कि अपराधी को मौत की सजा दी जाएगी या नहीं लेकिन मेरा तर्क है कि धारा 65(2) और धारा 6 में मृत्युदंड का उल्लेख है। इसमें यह नहीं कहा गया कि पीड़ित को मरना ही होगा। यहां पीड़ित बीमार है। अगर वह ठीक भी हो गया तो भी उसे जीवन भर दर्द सहना पड़ेगा। अदालत की नजर में यह दुर्लभतम अपराध है। कोलकाता पुलिस के डीसी (नॉर्थ) दीपक सरकार ने कहा कि सात महीने की बच्ची के साथ जघन्य अत्याचार की खबर मिलने के बाद हम आरोपित को गिरफ्तार करने के लिए जांच करने लगे। हमने तीन-चार दिनों तक इलाके में लगे सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद आरोपित की पहचान की। आरोपित का डीएनए पीड़िता के कपड़ों पर पाए गए नमूनों से मेल खाता था। सारे साक्ष्य प्राप्त करने के बाद, अदालत को लगा कि यह दुर्लभतम मामला है। उन्होंने कहा कि सात महीने की बच्ची अब मौत से लड़ रही है। मुझे नहीं पता कि वह सामान्य जीवन में वापस लौट पायेगी या नहीं। हालांकि, हम 78 दिनों के भीतर उस पर किए गए क्रूर अत्याचार के लिए न्याय दिलाने में सक्षम रहे।

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