कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य परिवहन विभाग ने बस ऑपरेटरों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश लापरवाही से गाड़ी चलाने और सड़क सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों का हिस्सा हैं।
दिशा-निर्देशों में क्या है खास?
परिवहन सचिव सौमित्र मोहन ने 6 दिसंबर को जारी नोटिस में कहा कि बस ऑपरेटरों को अपने चालक और परिचालकों के "पूर्ववृत्त और प्रमाणपत्र" दिखाने होंगे, जिसमें उनके खिलाफ की गई पुलिस शिकायतों का भी जिक्र होगा। इसके अलावा, बस कर्मचारियों के ड्राइविंग रिकॉर्ड की जांच करने के बाद ही उन्हें काम पर रखा जाएगा।
बसों में रहेगा शिकायत रजिस्टर और फीडबैक तंत्र
नए दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि बसों में शिकायत रजिस्टर और फीडबैक तंत्र रखा जाएगा, ताकि यात्रियों से फीडबैक लिया जा सके और उसे नियमित रूप से समीक्षा किया जा सके। इन रजिस्टरों में दर्ज शिकायतों का समाधान समय पर किया जाएगा और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
खतरनाक ड्राइविंग के खिलाफ सख्त कदम
नोटिस में कहा गया कि "लापरवाह ड्राइविंग, यांत्रिक विफलता, और जागरूकता की कमी" के कारण कई सड़क दुर्घटनाएं और मौतें हो चुकी हैं। इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, अब बस ऑपरेटरों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे अपने चालक दल के ट्रैक रिकॉर्ड की पूरी जांच करें।
इसके साथ ही, ड्राइवरों और कंडक्टरों की ड्राइविंग लाइसेंस की लेमिनेटेड कॉपी भी बस में प्रदर्शित की जानी चाहिए।
लापरवाह ड्राइविंग के मामलों की बढ़ी संख्या
यह कदम उन रिपोर्टों के मद्देनजर उठाया गया है, जिनमें बताया गया था कि कई बसों और उनके ड्राइवरों पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले थे। इनमें से अधिकांश मामलों में जुर्माना लगाया गया था, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई थी और जुर्माना वसूल नहीं हुआ था। परिवहन अधिकारियों का कहना है कि इन नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना और बस ऑपरेटरों के लिए अधिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है।