नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए परिवहन विभाग ने बनायी ड्राफ्ट नीति

महिलाओं के लिए जारी किया जायेगा टोल फ्री नंबर
नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए परिवहन विभाग ने बनायी ड्राफ्ट नीति
Jdnyim
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कोलकाता : नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए परिवहन विभाग की ओर से ड्राफ्ट नीति बनायी गयी है। इस बाबत मैदान टेंट में परिवहन विभाग के प्रधान सचिव डॉ. सौमित्र मोहन, डायरेक्टर, ज्वाइंट सीपी (ट्रैफिक) रूपेश कुमार के अलावा परिवहन संगठनों की ओर से टीटो साहा, इंद्रनील बनर्जी समेत अन्य मौजूद थे। यहां उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट की ओर से इस बाबत निर्देश दिया गया था। इस संबंध में एक याचिका दायर की गयी थी। अब परिवहन विभाग की ओर से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उक्त ड्राफ्ट नीति बनाते हुए सभी पब्लिक व निजी सेक्टरों में इस बाबत गाइडलाइन जारी करने को कहा गया है। इसमें कहा गया कि यह नीति पश्चिम बंगाल के उन सभी संस्थानाें में लागू होगी जहां नाइट शिफ्ट में महिलाएं काम करती हैं। इनमें इण्डस्ट्रियल यूनिट्स, आईटी एण्ड आईटीईएस सेक्टर, हेल्थकेयर व इमरजेंसी सर्विसेज, रिटेल, हॉस्पिटैलिटी, परिवहन, लॉजिस्टिक्स, मीडिया एण्ड सर्विस एंटरप्राइज समेत अन्य शामिल हैं।

एक नजर गाइडलाइन पर

* महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट में काम आवश्यक नहीं होना चाहिये। इस तरह की शिफ्ट में काम करने के लिए महिलाओं से लिखित सहमति लेनी आवश्यक है।

* कार्यस्थल से घर तक नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को सुरक्षित व निःशुल्क ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा देना आवश्यक है।

* सभी वाहनों में प्रशिक्षित व सत्यापित ड्राइवर होने चाहिये व वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग व आपातकालीन अलर्ट सिस्टम होना चाहिये।

* उक्त वाहन के साथ एक एस्कॉर्ट/सुरक्षा कर्मी, विशेषकर महिला होनी चाहिये।

* नाइट शिफ्ट में कुल शिफ्ट की एक तिहाई महिलाओं की ड्यूटी होनी चाहिये। कम से कम एक तिहाई सुपरवाइजर महिलाएं होनी चाहिये।

* नाइट शिफ्ट ड्यूटी रोटेशनल होनी चाहिये जिसमें कम से कम 12 घण्टे का रेस्ट पीरियड जरूरी है।

* महिला कर्मचारियों के लिए अलग, रोशनी वाला और हाइजिनिक टॉयलेट व रेस्ट एरिया होना चाहिये। यहां पंखे व पेयजल की सुविधा आवश्यक है।

* महिला कर्मचारियों को साफ, सुरक्षित व हाइजिनिक भोजन की सुविधा नाइट शिफ्ट में देनी चाहिये। जहां 50 से अधिक महिलाएं नाइट शिफ्ट में हैं, वहां कैंटीन भी मुहैया करायी जा सकती है।

* फर्स्ट एण्ड और एंबुलेंस सपोर्ट सिस्टम समेत पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं दी जानी चाहिये।

* शिफ्ट के दौरान महिला कर्मचारी कहीं भी जा सके, इसके लिए पूरे संस्थान में रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिये।

* प्रशिक्षित सिक्योरिटी गार्ड नाइट शिफ्ट में होने चाहिये जो समय-समय पर पेट्रोलिंग करें। कॉरिडोर, एंट्री प्वाइंट और अन्य इलाकों में सीसीटीवी कैमरा आवश्यक है।

* आवश्यक होने पर संस्थानों को क्रेच फेसिलिटी की व्यवस्था की जानी चाहिये।

* सभी संस्थान को आंतरिक शिकायत कमेटी का गठन कर एंटी हैरेसमेंट नीतियों का डिस्प्ले किया जाना चाहिये। वर्कप्लेस बिहेवियर को लेकर रोजाना ट्रेनिंग भी जरूरी है।

* किसी भी तरह के सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ मजबूत नीति संस्थानों में लागू की जानी चाहिये।

* अटेंडेंस, ट्रांसपोर्ट मूवमेंट, विजिटर लॉग व शिकायतों का रिकॉर्ड रखना आवश्यक है।

* महिलाओं की नाइट शिफ्ट नियुक्ति पर एक क्वार्टरली रिपोर्ट श्रम आयुक्त के पास जमा की जानी चाहिये।

* किसी अप्रिय घटना की शिकायत तुंरत श्रम विभाग व स्थानीय पुलिस अधिकारियों को की जानी चाहिये।

* कार्यस्थलों में पुलिस, अस्पताल, नॉडल ऑफिसर जैसे जरूरी कॉन्टैक्ट नंबर दिये जाने चाहिये।

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