

कोलकाता : म्युचुअल फंड और फिक्सड डिपॉजिट में निवेश करने के नाम पर तीन ग्राहकों से 34.75 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में पुलिस ने बैंक के कर्मचारी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। घटना शेक्सपियर सरणी थाना इलाके की है। कोलकाता पुलिस के एंटी बैंक फ्रॉड सेक्शन के अधिकारियों ने अभियुक्तों को उल्टाडांगा और हावड़ा इलाके से पकड़ा है। अभियुक्तों के नाम चंदन मंडल, सुरेश भगत और राजू थापा हैं। गुरुवार को अभियुक्तों को अदालत में पेश करने पर उन्हें 26 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार 1 मार्च 2022 के बाद एक प्राइवेट बैंक के कर्मी चंदन मंडल ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची। आरोप है कि उसने फर्जी और जाली म्युचुअल फंड व फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) प्रमाणपत्र तैयार कर उन्हें असली बताकर ग्राहकों को सौंपा और धोखाधड़ी के जरिए दो ग्राहकों के खातों से कुल 34.75 लाख रुपये निकाल लिये। यह राशि आरोपितों के नियंत्रण वाले खातों में ट्रांसफर कर दी गई, जिससे ग्राहकों और बैंक दोनों को आर्थिक नुकसान हुआ। जांच में सामने आया कि ग्राहक पार्थ सारथी घोषाल और बानी घोषाल को चंदन मंडल ने म्युचुअल फंड में निवेश का सुझाव दिया था। उसके निर्देश पर दोनों ग्राहकों ने निवेश के लिए सहमति दी। इसके बाद चंदन मंडल ने उनके खातों से 33.50 लाख रुपये राशि ट्रांसफर कर दी, लेकिन म्युचुअल फंड में निवेश करने के बजाय पैसा तीसरे पक्ष के उन खातों में भेज दिया गया, जो उसके नियंत्रण में थे। आगे की जांच में यह भी सामने आया कि पीड़ितों को दिए गए म्युचुअल फंड डिपॉजिट सर्टिफिकेट, जो आईसीआईसीआई होम फाइनेंस और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के नाम पर जारी किए गए थे, पूरी तरह जाली और फर्जी थे। इसके अलावा, एक अन्य ग्राहक मालविका नंदी को भी चंदन मंडल ने एफडी खोलने के नाम पर 1.25 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया। इस मामले में भी रकम सीधे चंदन मंडल के खाते में ट्रांसफर की गई और पीड़िता को फर्जी फिक्स्ड डिपॉजिट सर्टिफिकेट थमा दिया गया। जांच के दौरान पुलिस ने जाली डेबिट ऑथराइजेशन फॉर्म, फर्जी एफडी और म्युचुअल फंड सर्टिफिकेट, बैंक स्टेटमेंट, अकाउंट ओपनिंग फॉर्म समेत कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं।
पुलिस के अनुसार, चंदन मंडल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ग्राहकों से निवेश के नाम पर कुल 34.75 लाख रुपये की रकम हड़पी। सुरेश भगत ने उन खातों की व्यवस्था की, जिनमें ठगी की राशि जमा की गई और वह इस रकम का लाभार्थी भी था। वहीं, राजू थापा ने प्राथमिक खातों की व्यवस्था की और अन्य आरोपितों के साथ संपर्क में रहकर काम किया। उसे ठगी की गई राशि का 20 प्रतिशत कमीशन मिला।