इस मानसून में बदलेगी पातीपुकुर अंडरपास की सूरत

कोलकाता नगर निगम के ड्रेनेज विभाग ने लिया अंडरपास की जल निकासी का जिम्मा
पातीपुकुर अंडरपास का निरीक्षण करते एमएमआईसी तारक सिंह
पातीपुकुर अंडरपास का निरीक्षण करते एमएमआईसी तारक सिंह
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कोलकाता : महानगर में मानसून की दस्तक के साथ ही दक्षिण दमदम का पातीपुकुर अंडरपास सबसे अधिक चर्चा में रहता है। हर साल सोशल मीडिया पर पातीपुकुर अंडरपास में बारिश के पानी में पूरी तरह डूबी बस की तस्वीरें तेजी से वायरल होती हैं लेकिन इस वर्ष अंडरपास की स्थिति बदलने की संभावना है। पातीपुकुर अंडरपास की जल निकासी का जिम्मा अब कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने उठाया है। अंडरपास की स्थिति ‘स्विमिंग पूल’ जैसी न हो, इसके लिए केएमसी का ड्रेनेज विभाग मानसून शुरू होने से पहले ही जल निकासी व्यवस्था की खामियों की पहचान कर आवश्यक सुधार करने जा रहा है। इसी संदर्भ में शुक्रवार को मेयर परिषद सदस्य तारक सिंह के नेतृत्व में ड्रेनेज विभाग के अधिकारियों ने पातीपुकुर अंडरपास का दौरा किया।

मैनहोल खोला तो मिला सिल्ट और कचरे का अंबार, जांच समिति गठित

तारक सिंह ने बताया कि पातीपुकुर अंडरपास के इनलेट (मैनहोल) से तीन चैनल बनाए गए हैं, जो पानी को पंपिंग स्टेशन के माध्यम से लेक टाउन के खाल में पहुंचाते हैं। जांच के दौरान पाया गया कि इनलेट से जुड़े चैनलों की इंजीनियरिंग पद्धति में खामियां हैं। जब इनलेट के पानी को चैनलों के माध्यम से बाहर निकालने की कोशिश की गई, तो पानी बाहर निकलने के बजाय दोबारा मैनहोल में भरने लगा। मैनहोल में कई भारी बोरे, कपड़े और जूट की रस्सियां भी पाई गईं। अंडरपास की खराब स्थिति की शिकायत मिलने पर मेयर फिरहाद हकीम ने कहा कि इस संबंध में एक जांच समिति गठित की गई है। मंगलवार को इस संबंध में रिपोर्ट तलब की गई है। उन्होंने बताया कि कई बार ठेकेदार कार्य समाप्त करने के बाद निर्माण सामग्री वहीं छोड़ देते हैं, जो बारिश के कारण मैनहोल में फंस जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस इंजीनियर ने निरीक्षण किया था, उसकी यह गलती है कि खामियां होने के बावजूद उसने परियोजना को स्वीकृति दे दी। जिस इंजीनियर ने यह अनुमति दी थी, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

आउटलेट की बढ़ायी गयी क्षमता

एमएमआईसी तारक सिंह ने बताया कि इंजीनियरिंग पद्धति के माध्यम से कैचमेंट एरिया और नेटवर्क का मूल्यांकन किया जा रहा है। यह जांच की जा रही है कि यदि एक घंटे में 40 मिमी बारिश होती है, तो नेटवर्क में पानी को निकालने की क्षमता है या नहीं। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि वर्तमान नेटवर्क एरिया की स्थिति क्या है, पाइपलाइन की हालत कैसी है और पंप की दक्षता कितनी है। सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि डाला का व्यास कुल 16 इंच है, जिसमें 12 इंच तक सिल्ट जमा हो गया था। उन्होंने बताया कि पातीपुकुर अंडरपास के आउटलेट में दो पंप लगे हैं। केएमसी द्वारा 20 एचपी क्षमता का एक अतिरिक्त पंप भी स्थापित किया गया है, जिससे आउटलेट की दक्षता और बढ़ेगी। इसके साथ ही, इनलेट में भी एक पंप लगाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि इन उपायों के बाद भी जलजमाव की स्थिति बनी रहती है, तो पंपिंग स्टेशन के पास स्थित एक बस्ती क्षेत्र से एक अन्य नेटवर्क तैयार किया जाएगा।

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